ऊर्जा की मांग पर प्रधानमंत्री की नजर, प्रगति पोर्टल पर आया मुंबई ऊर्जा मार्ग लिमिटेड

मुंबई ऊर्जा मार्ग एक इंटर-स्‍टेट ट्रांसमिशन सिस्‍टम प्रोजेक्‍ट है, जिसकी परिकल्‍पना विद्युत मंत्रालय ने की है और जो विकासशील मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन को भरोसेमंद, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बिजली देने के लिये है।

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मुंबई ऊर्जा मार्ग लिमिटेड (एमयूएमएल), मुंबई का एक महत्‍वपूर्ण पावर ट्रांसमिशन इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट, अब प्रगति पोर्टल का हिस्‍सा है। यह एक मॉनीटरिंग प्‍लेटफॉर्म है, जिसके माध्‍यम से प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये संबंधित हितधारकों के साथ सीधे संवाद कर राष्‍ट्रीय महत्‍व की महत्‍वपूर्ण प्रांतीय एवं केन्‍द्रीय परियोजनाओं के क्रियान्‍वयन पर नजर रखते हैं।

ऊर्जा की मांग और आपूर्ति में अंतर
महाराष्‍ट्र की अर्थव्‍यवस्‍था तेज गति से बढ़ रही है और आने वाले दिनों में यहाँ ऊर्जा की मांग में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होगी, क्‍योंकि राज्‍य ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने की अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये तैयार है। 2019-20 की गर्मियों में पीक पावर की मांग 3,600 मेगावाट पर पहुँची थी और उम्‍मीद है कि 2024-25 तक 5,000 मेगावाट हो जाएगी और 2030 तक 6,000 मेगावाट पहुंच सकती है। वर्तमान काल में ही ऊर्जा की मांग और आपूर्ति के बीच अंतर तेजी से बढ़ रहा है, जिसका कारण मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन (एमएमआर) में ट्रांसमिशन का पर्याप्‍त नेटवर्क है। इसे सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) ने भी स्‍पष्‍ट किया है।

ट्रांसमिशन नेटवर्क अपग्रेडेशन
मुंबई को तकलीफ देने वाली 2020 की बिजली कटौती के बाद से सीईए ने शहर में ‘एम्‍बेडेड जनरेशन’ और ट्रांसमिशन नेटवर्कों की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत भी बताई थी, जोकि, बिजली की बढ़ती मांग के कारण अवरूद्ध हो रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए, मुंबई क्षेत्र में बिजली की चौबीसों घंटे आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये इसके ट्रांसमिशन नेटवर्क को अपग्रेड करना बेहद महत्‍वपूर्ण है।

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प्रगति पोर्टल का लाभ
परिचालन शुरू होने के बाद मुंबई ऊर्जा मार्ग लिमिटेड एमएमआर के लिये एक इंटर-स्‍टेट ट्रांसमिशन सिस्‍टम (आईएसटीएस) फीड के माध्‍यम से 2000 मेगावाट से ज्‍यादा अतिरिक्‍त बिजली का वहन करेगी और साथ ही मौजूदा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को अपग्रेड कर उसकी मरम्‍मत करेगी। प्रगति पोर्टल में शामिल होना एमयूएमएल के लिये एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है, क्‍योंकि इससे मुख्‍य समस्‍याओं को हल करने और परियोजना के विकास में तेजी लाने में मदद मिलेगी, ताकि महत्‍वपूर्ण समय-सीमाएं सुनिश्चित हो सकें और दिसंबर 2023 तक परिचालन शुरू हो सके। प्रगति मीटिंग्‍स के 40 संस्‍करणों में अब तक 15.41 लाख करोड़ रूपये की कुल लागत वाली 319 परियोजनाओं की समीक्षा हुई है।

“यह विकास हमारी परियोजना की गंभीरता का प्रमाण है। यह लगातार प्रगति करने और सही समय पर परिचालन का आरंभ होना सुनिश्चित करने में हमारी मदद करेगा, ताकि बिजली की बढ़ती मांग पूरी हो सके और ऊर्जा की आवश्यकता के मामले में भविष्‍य के लिये तैयार रहा जा सके।”
निनाद पितले, परियोजना निदेशक – एमयूएमएल

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