जानिये, प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ की खास बातें!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि प्राचीन भारतीय मूर्तियां भारत की धरोहर और सांस्कृतिक महत्व की हैं।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चोरी हुई प्राचीन भारतीय प्रतिमाओं को देश की आत्मा और आस्था का अंश बताते हुये कहा कि साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आयी थीं। लेकिन, पिछले सात सालों में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को भारत लाने में सफलता मिली है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि प्राचीन भारतीय मूर्तियां भारत की धरोहर और सांस्कृतिक महत्व की हैं। इन मूर्तियों से हमारी आस्था और विश्वास जुड़े हुये हैं। चोरी हुई इन मूर्तियों को वापस लाना भारत मां के प्रति हमारा दायित्व है।

मन की खास बातें
-वे मन की बात की 86वीं कड़ी में देशवासियों से बात साझा कर रहे थे। इस क्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने हजार साल पुरानी अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की प्रतिमा का जिक्र करते हुये कहा कि यह मूर्ति कुछ वर्ष पहले बिहार में गयाजी के देवी स्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरी हो गई थी। इसी महीने के प्रारंभ में इटली से अपनी इस बहुमूल्य धरोहर को लाने में सफलता मिली है।

-आगे उन्होंने तमिलनाडु के वेल्लूर से भगवान आंजनेय्यर ( हनुमान जी) की प्रतिमा के चोरी होने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हनुमानजी की यह मूर्ति 600-700 साल पुरानी थी, जो पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया से हमें प्राप्त हुई है।

-प्राचीन मूर्तियों के सांस्कृतिक महत्व को बताते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों वर्षों के हमारे इतिहास में देश के कोने-कोने में एक-से-बढ़कर एक मूर्तियां बनती रहीं। इसमें श्रद्धा भी थी। सामर्थ्य भी था। कौशल भी था। वे मूर्तियां विविधताओं से भरी हुई थीं।

-उन्होंने कहा कि हमारी सभी मूर्तियों के इतिहास में तत्कालीन समय का प्रभाव नजर आता है, जिनसे हमारी आस्था भी जुड़ी रही है। लेकिन, अतीत में बहुत सारी मूर्तियां चोरी होकर भारत से बाहर जाती रहीं। उन मूर्तियों को एक के बाद दूसरे देशों में बेचा जाता रहा। इनके प्रति उनकी कोई श्रद्धा नहीं थी। इन मूर्तियों के इतिहास से भी उनका कोई लेना देना नहीं था।

-आगे इस बात पर जोर देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इन मूर्तियों को वापस लाना भारत मां के प्रति हमारा दायित्व है। इन मूर्तियों में भारत की आत्मा और आस्था का अंश है। इनका सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्व भी है।

-इसी क्रम में काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा का भी उन्होंने जिक्र किया। आगे उन्होंने कहा कि मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा वापस लाई गई हैं। यह भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिये का ही उदाहरण है कि साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आयी थीं। लेकिन, पिछले सात साल में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को सफलता के साथ वापस लाया जा चुका है।

-आगे उन्होंने कहा कि देश की जब कोई बहुमूल्य धरोहर वापस मिलती है तो स्वाभाविक है कि इतिहास में श्रद्धा रखने वाले, आस्था और संस्कृति के साथ जुड़े हुए लोगों के साथ एक हिन्दुस्तानी के नाते एक तरह का संतोष मिलता है।

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