राजस्थान कांग्रेस में बगावत का विस्फोट हो गया है । अशोक गहलोत जो अब तक गांधी परिवार के सबसे विश्वस्त सिपहसालार माने जाते थे, उनके समर्थकों ने कांग्रेस हाईकमान की ईंट से ईंट बजा दी है। अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मुख्यमंत्री पद का जाना तय है। इसके साथ ही पायलट की क्रैश लैंडिंग होने की संभावना भी जताई जा रही है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस को बहुत शर्मिंदगी दिखा चुके हैं। वे बार-बार दो साल पहले हुई एक बगावत की याद दिला रहे हैं। वे कह रहे हैं कि पार्टी हाईकमान को यह ध्यान रखना चाहिए कि 2 साल पहले भाजपा के साथ मिलकर राजस्थान की सरकार गिराने की साजिश किन लोगों ने की थी।
राजस्थान भी होगा कांग्रेस मुक्त
राजस्थान के दूसरे मंत्री शांति धारीवाल कहते हैं,” हाईकमान यह बता दे कि कौन-से 2 पद हैं अशोक गहलोत के पास, जो आप उनसे इस्तीफा मांग रहे हो। कुल मिलाकर एक ही पद है मुख्यमंत्री का, जब दूसरा पद मिल जाए तब बात उठेगी। यह सारा षड्यंत्र है, जिस षड्यंत्र ने पंजाब खोया, वह षड्यंत्र राजस्थान में होने जा रहा है। हम लोग समझ जाएं तभी राजस्थान में कांग्रेस बचेगी वर्ना यह प्रदेश भी हाथ से चला जाएगा।”
कांग्रेस देर रात तक लेगी फैसला
राजस्थान सरकार में अशोक गहलोत के प्लान पर सोनिया गांधी की मांग पर अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे 27 सितंबर को लिखित रिपोर्ट सौंप देंगे । कांग्रेस नेता अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने 26 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को राजस्थान में जारी राजनैतिक संकट की पूरी जानकारी दी। सोनिया गांधी ने माकन और खड़गे को विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। उन्हें सोनिया गांधी ने मामले में लिखित रिपोर्ट देने के लिए कहा है। 27 सितंबर की रात वह रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपी जाएगी। माकन ने बताया कि मल्लिकार्जुन खड़गे और मैंने कांग्रेस अध्यक्ष को राजस्थान में हमारी बैठकों के बारे में विस्तार से बताया है अब हम एक लिखित रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
कांग्रेस के नेतृत्व पर फिर सवाल
राजस्थान में राजनीतिक संकट अशोक गहलोत द्वारा कांग्रेस के अध्यक्ष पद चुनाव में अपना नामांकन दाखिल करने के लिए सहमत होने और राज्य में अपनी पसंद का उत्तराधिकारी चाहने से पैदा हुआ है । जब सीएलपी की बैठक बुलाई गई तो एक समानांतर बैठक करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्टी आलाकमान को चुनौती दे दी ।
मांग खारिज
राज्य में नेतृत्व पर निर्णय दिल्ली में लिया जाना था। लेकिन अशोक गहलोत की राजनीति चाल ने पासा पलट दिया। अजय माकन ने विधायकों की मांग को खारिज कर दिया है। माकन कहते हैं कि प्रस्ताव शर्तों के साथ पारित नहीं होता है। इस तरह का कोई भी कदम पार्टी में संघर्ष की वजह बनेगा। गहलोत सरकार को 2020 में सचिन पायलट और उनके वफादार विधायकों के बगावती मूड के कारण राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ा था।