भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता हिमंत बिस्व सरमा असम के मुख्यमंत्री बन गए हैं। राज्यपाल जगदीश मुखी उन्हें शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के 10 और सहयोगी दल के तीन विधायको को भी मंत्रिपद की शपथ दिलाई गई। इससे पहले 9 मई को उन्हें भाजपा के विधायक दल की बैठक में नेता चुना गया था।
त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब, मेघालय के सीएम कोनराड संगमा, मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह, नागालैंड के सीएम नेफियू रियो के साथ ही पूर्व सीएम सर्बदानंद सोनोवाल भी असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और उनके मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे।
With blessings & grace of people of Assam, I took over as Chief Minister of the state today.
Taking Assam to greater heights of prosperity and making it as among the leading states, pursuing the ideals and values of Adarniya Pradhan Mantri Sri @narendramodi, is our pledge. pic.twitter.com/fhJERouAVL
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) May 10, 2021
9 मई को सोनोवाल ने दिया था त्याग पत्र
इसके पहले मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्यपाल जगदीश मुखी को अपना त्यागपत्र सौंप दिया था। उसके बाद विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें हिमंत बिस्व सरमा को नेता चुन लिया गया। प्रदेश की राजधानी गुवाहाटी में 9 मई को भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में नेता चुने गए हिमंत बिस्व सरमा ने 9 मई को सायंकाल राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।
चुनाव में नहीं की गई थी घोषणा
बता दें कि मुख्यमंत्री की रेस में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्व सरमा आगे चल रहे थे। इससे पहले के कार्यकाल में सर्बदानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया गया था। मुख्यमंत्री को लेकर कोई विवाद न हो, इसलिए भाजपा ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की थी।
ये बनाए गए पर्यवेक्षक
असम में विधायक दल के नेता के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रुप में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पार्टी महासचिव अरुण सिंह को नियुक्त किया गया था।
गठबंधन को बहुमत
असम में भाजपा को कुल 126 विधान सभा सीटों में से 60 सीटें मिली हैं, उसके सहयोगी असम गण परिषद को 9 और यूपीपीएल को 6 सीटें मिली हैं। भाजपा गठबंधन के पास 75 विधायक हैं।
हिमंत बिस्व सरमा का ऐसा रहा है राजनैतिक सफर
असम में भारतीय जनता पार्टी की लगातार दूसरी बार जीत मिलने में प्रदेश के दो पार्टी नेताओं का महत्वपूर्ण योगदान है। उनमें वर्तमान मुख्यमंत्री सर्बदानंद सोनोवाल और अगले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा का नाम शामिल है। 2016 में पार्टी को जीत मिलने पर सर्बदानंद सोनोवाल को दिल्ली से असम की बागडोर संभालने के लिए भेजा गया था। तब हिमंत बिस्वा सरमा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। लेकिन इस बीच सरमा ने अपनी सूझबूझ और सक्रियता से पार्टी का विश्वास जीत लिया । उन्हें अब पूर्वोत्तर का चाणक्य माना जाता है।
2016 के चुनाव से पहले भाजपा में शामिल
सरमा की राजनैतिक यात्रा देखें तो वे 2015 में राहुल गांधी पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। सरमा ने अपने आरोप में कहा था कि जब वे राहुल गांधी से मिलने पहुंचे तो उनका ध्यान उनसे अधिक अपने कुत्ते की ओर था। बता दें कि सरमा कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता तरुण गोगोई के मुख्यमंत्री काल में उनके खास माने जाते थे। लेकिन आज वे भाजापा के कद्दावर नेता हैं।
भाजपा को पूर्ण बहुमत
इस बार में असम में भाजपा ने 126 विधानसभा सीटों में से 75 सीटों पर जीत हासिल की है। सरमा अपने विधानसभा क्षेत्र जालुकबाड़ी से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं।
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राजनैतिक जीवन की शुरुआत
हिमंत बिस्व सरमा के राजनैतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1980 में हुई, जब वह छठी कक्षा में थे। वे ऑल इंडिया असम स्टूडेंट्स यूनियन से जुड़ गए। वर्ष 1981 में में एएसयू पर कार्रवाई की गई। इस दौरान सरमा को प्रेस को विज्ञप्ति और अन्य सामान पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बाद में सरमा को एएएसयू के गुवाहाटी इकाई का महसचिव बनाया गया। 1990 के दशक में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। उसके बाद 2001 में पहली बार गुवाहाटी के जालुकबाड़ी से चुनाव लड़े और असम गण परिषद के नेता भृगु कुमार फुकान को करारी शिकस्त दी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और इस सीट पर तब से अब तक एकाधिकार जमाए हुए हैं।
कई विभागों में रहे मंत्री
कांग्रेस में रहते हुए सरमा ने असम में शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, कृषि योजना तथा विकास, पीडब्ल्यूडी तथा वित्त जैसै महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी निभाई। लेकिन बाद में तरुण गोगोई से उनके संबंध बिगड़ने लगे और राहुल गांधी द्वारा भी अपनी अनदेखी करने के बाद वे 2016 में विधानभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा में शामिल हो गए।
जन्म और शिक्षा
हिमंत बिस्व सरमा का जन्म 1 फरवरी 1969 में हुआ। उनके पिता का नाम कैलाश नाथ सरमा और मां का नाम मृणालिनी देवी है। सरमा ने गुवाहाटी के कामरुप एकैडमी स्कूल से प्रारंभिक पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी और फिर गुवाहाटी विश्विद्यालय से पीएचडी की। सरमा ने 1969 से 2001 तक गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत भी की है।
पत्नी और बच्चे
सरमा ने वर्ष 2001 में रिकी भुयान से शादी की और उनके एक बेटा और एक बेटी हैं। वर्ष 2017 में सरमा बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी चुने गए थे।