पेगासस जासूसी विवाद ने अब राजनैतिक रुप धारण कर लिया है। इस मुद्दे पर अब तक बाहर हो रही बयानबाजी संसद के दोनों सदनों में सियासी संग्राम में बदल गई है। इसे लेकर 20 जुलाई को दोनों सदनों में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्षी सांसदों ने दोनों सदनों में मोदी सरकार की आलोचना करते हुए नेताओं, जजों और पत्रकारों समेत कई प्रमुख हस्तियों के फोन टैप करने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।
विपक्ष ने इस मुद्दे पर संसद में तत्काल चर्चा कराने के साथ ही संयुक्त संसदीय समिति से जासूसी प्रकरण की जांच कराने की मांग की। जबकि सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि जासूसी कराने का आरोप आधारहीन है। सरकार और विपक्ष में जासूसी प्रकरण पर छिड़ी जंग के कारण लोकसभा की कार्यवाही पूरे दिन नहीं चल पाई। सदन के भीतर ही नहीं, बाहर भी विपक्षी पार्टियों ने आक्रामक रुप अपनाया तथा विरोध प्रदर्शन किया।
विपक्ष रहा हमलावर
20 जुलाई को संसद की बैठक शुरू होते ही कांग्रेस के नेतृत्व में सभी विपक्षी पार्टियों ने दोनों सदनों में इजरायली साफ्टवेयर पेगासास के माध्यम से सरकार पर जासूसी करने का आरोप लगाया और इस पर तत्काल बहस कराने की मांग की। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी आदि के सदस्य पोस्टर-बैनर के साथ अध्यक्ष के आसन के पास पहुंच गए।
लोकसभा में रहा ऐसा हाल
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष की चर्चा की मांग को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि सरकार 19 जुलाई को ही लोकसभा में जासूसी विवाद पर बयान दे चुकी है। विपक्ष की अधिकाशं पार्टियों ने जहां जासूसी के मसले पर हंगामा किया, वहीं अकाली दल के सदस्यों ने कृषि कानूनों के खिलाफ वेल में जाकर नारेबाजी की। विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा को पहले दो बजे तक स्थगित किया गया। उसके बाद भी सदन चलाने का प्रयास किया गया लेकिन विपक्ष का हंगामा जारी रहने पर सदन दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।
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राज्य सभा में भी हुआ हंगामा
राज्य सभा में भी विपक्षी पार्टियों ने जासूसी कांड पर सरकार को घेरते हुए जबरदस्त शोर-शराबा किया। इस बीच सदन दो बार स्थगित किया गया। लेकिन कोरोना महामारी पर बहस कराने के सरकार के दांव के बाद दोपहर डेढ़ बजे विपक्ष सदन में चर्चा करने को तैयार हो गया।
किसने क्या कहा?
राहुल गांधी समेत कई प्रमुख हस्तियों के फोन की जासूसी करने से इनकार करने के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के बयान पर कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि सबसे गंभीर बात यह है कि सरकार स्पष्ट रुप से नहीं बता रही है कि उसने साफ्टवेयर खरीदा या नहीं। शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी जासूसी प्रकरण को लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक बताते हुए इसकी जांच की मांग की।