-महेश सिंह
Population: आखिर अधिकांश हिंदुओं (majority of Hindus) को यह बात समझ में आ गई है कि सुरक्षा के लिए उन्हें एकजुट रहना होगा। उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (Uttar Pradesh Chief Minister) योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का संदेश बंटेंगे तो कटेंगे और प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद मोदी (Narendra Modi) के बयान एक हैं तो सेफ हैं, जैसे नारों के अंदर छिपे रहस्य समझ में आने लगे हैं।
यही कारण है कि भाजपा (BJP) के नेतृत्व में एनडीए हरियाणा विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत के साथ ही जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में भी मजबूत विपक्ष बनकर उभरा। उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी एनडीए को 288 में 230 सीटों पर बंपर जीत मिली। हालांकि झारखंड में अलग भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों के कारण भाजपा को उम्मीद के अनुसार जीत नहीं मिली। इस प्रदेश में एनडीए को कुल 81 सीटों में मात्र 25 सीटों पर जीत प्राप्त हुई, जबकि जेएमएम- कांग्रेस गठबंधन ने 56 सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत से आंकड़े 41 से काफी आग निकल गया।
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हिंदू एकजुट
हाल ही में हुए इन चुनावों में एनडीए की हरियाणा और महाराष्ट्र में हुई धमाकेदार जीत और कांग्रेस की हुई दुर्गति ने संदेश दिया है कि अब हिंदू काफी हद तक एकजुट हो गए हैं। हालांकि अगले वर्ष( 2025) दिल्ली और बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में परिदृश्य और साफ हो जाएगा। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उम्मीद है कि बिहार के साथ ही देश की राजधानी में भी एनडीए दमदार प्रदर्शन केरगा।
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घटती आबादी सबसे अधिक चिंता की बात
फिलहाल हिंदुओं ने जिस तरह हाल के विधानसभा चुनावों में एकजुटता दिखाई है, उसे आगे भी बरकरार रहने की उम्मीद है। लेकिन हिंदुओं के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है, घटती जनसंख्या। एकजुटता दिखाने के बाद यह भी जरुरी है कि हिंदू अपनी घटती जनसंख्या के कारण भविष्य में पैदा होने वाली विकट परिस्थियों को समझे और अपनी सुख-सुविधा के लिए कम बच्चे पैदा करने की मानसिकता से बाहर निकले।
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अखंड भारत और हिंदू राष्ट्र का सपना
हिंदुओं की घटती आबादी और मुसलमानों की बढ़ती आबादी देश के गंभीर संकट की ओर इशारा करती है। अखंड भारत और हिंदू राष्ट्र का सपना देख रहे हिंदुओं को देश के बदलते डेमोग्राफी और उसके संकट को समझना चाहिए। आज भी जो सनातन धर्मी गर्व से सीना फुलाए यह कहते फिरते हैं कि सदियों की गुलामी और परशासन के बावजूद हमारी हस्ती नहीं मिटी और आज भी सनातन धर्म जिंदा है, उनमें ज्ञान की कमी है।
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अखंड भारत से अलग हुए देश
आज का भारत अखंड भारत का मात्र एक चौथाई ही रह गया है। पाकिस्तान और बांग्लादेश का भारत से अलग होना तो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की बात है। गुप्त और मौर्काल में पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और मालदीव भी भारत के भाग हुआ करते थे। लेकिन एक-एक कर ये भारत से अलग होते चले गए और आज स्थिति ऐसी बन गई है, बचे हुए भारत में भी हिंदुओं का भविष्य सुरक्षित नजर नहीं आ रहा है।
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बांग्लादेश से सबक लेना जरुरी
सोये हुए हिंदुओं को शायद बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जारी हिंसा, अन्याय और बलात्कार भी झूठा लगता है। उन्हें पाकिस्तान में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की घटती आबादी की रिपोर्ट भी राजनीति से प्रेरित लगती है। उन्हें भारत में तेजी से बढ़ती मुससमानों की आबादी और उनका कट्टरपन भी नहीं दिखता। उन्हें अपने आसपास की हिंदू लड़कियों के साथ लव जिहाद, लैंड जिहाद और वोट जिहाद भी राजनीति से प्रेरित नजर आते हैं।
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पाकिस्तान व बांग्लादेश उदाहरण
देश के अधिकांश हिंदू अब भी सो रहे हैं। वे अपनी ही दुनिया में व्यस्त हैं, मस्त हैं। वे आज भी धर्मनिरपेक्षता और भाईचारा का राग अलाप रहे हैं। वे सोचते हैं कि देश में किसी पार्टी की भी सरकार आए, कुछ फर्क नहीं पड़ता। वे सच्चाई से आंखें मोड़कर मुसलमानों के षड्यंत्र को सफल बनाने की राह प्रशस्त कर रहे हैं। वे शायद इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि उनके साथ भी कुछ ऐसा हो, जो देश के मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदुओं के साथ हो रहा है। जो बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रहा है।
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रोटी, बेटी, माटी पर मुसलमानों का कब्जा
देश का डेमोग्राफी तेजी से बदल रहा है। घुसपैठिये मुसलमान देश में अपनी शक्ति बढ़ाने में लगे हैं। पश्चिम बंगाल, असम और झारखंड के रास्ते देश भर में बांग्लादेशी घुसपैठिए भरते जा रहे हैं। वे फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बनाकर सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा रहे हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी जैसी पार्टियां राजनीतिक लाभ के लिए उनका संरक्षण कर रही हैं। वे देश की रोटी, बेटी और माटी पर कब्जा कर आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने का षड्यंत्र कर रहे हैं। इसी तरह रोहिंग्या भी भारत में घुसपैठ कर देश के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।
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मुसलमानों का खतरनाक षड्यंत्र
घुसपैठियों के साथ ही देश के मुसलमान भी अपनी जनसंख्या बढ़ाकर भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र कर रहे हैं। वे दो-तीन शादियां कर अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने के साथ ही लव जिहाद और लैंड जिहाद को बढ़ावा देकर अपनी नापाक इरादे को पूरा करने में जुटे हुए हैं। इन सब के बीच भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और सम्मान से विश्व के ज्यादातर देश ईर्ष्या करने लगे हैं। ऐसे में भी अधिकांश हिंदू सो रहे हैं। वे अपनी ही मस्ती में जी रहे हैं। उन्हें आने वाले खतर का शायद अहसास नहीं है।
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सबसे बड़ी चिंता की बात
भारत के हिंदुओं के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात देश में तेजी से घटती उनकी आबादी है। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की इसी वर्ष मई में जारी रिपोर्ट उनकी आंखें खोलने के लिए काफी है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में हिंदुओं की आबादी में 7.8 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है, जबकि मुसलमानों की आबादी हिस्सेदारी में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह आंकड़ा 1915 और 2015 के बीच का है। समझना मुश्किल नहीं है कि हिंदुओं की तुलना में किस तेजी से मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है।
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सरकार के भरोसे मत रहना
वैसे देश की कुल आबादी बढ़ने की रफ्तार पहले से काफी कम हो गई है। इसलिए सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का विचार शायद त्याग दिया है। लेकिन इससे नुकसान हिंदुओं को ही हो रहा है। देश के अधिकांश हिंदू एक ही बच्चे पैदा करने लगे हैं। अब बेटा-बेटी का अंतर भी काफी कम गया है। इसलिए एक बेटा या बेटी ही उनके लिए काफी है। उनका तर्क है कि उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे एक से अधिक बच्चे का सही तरह से पालन पोषण और पढ़ाई-लिखाई करा सकें। हिंदुओं का दूसरा वर्ग हम दो हमारे दो नारे पर अमल कर रहा है।
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मुसलमानों का जन्म दर काफी अधिक
हिंदुओं के विपरित मुसलमान अधिक से अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं। उन्हें इसकी चिंता नहीं है कि उनके बच्चे पढ़ेंगे या नहीं पढ़ेंगे। ज्यादातर मुसलमान अपने बच्चों की शिक्षा और करियर के लिए परेशान नहीं होते। आज भी गरीब और मध्यवर्गीय मुसलमान अपने बच्चों को मदरसे में पढ़ने भेज देते हैं। ये मदरसे बच्चों के ब्रेन वॉश कर उनमें धार्मिक कट्टरता भर देते हैं, जिस कारण उनके दिमाग में धर्म के लिए कुछ भी करने का जुनून पैदा हो जाता है। असम के सीएम डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रदेश के सभी सरकारी मदरसों को स्कूल में कनवर्ट करवा दिया है।
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हिंदुओं की संपत्ति पर मुसलमानों का कब्जा
हिंदुओं को इस बात को समझना होगा, बच्चे के भविष्य को लेकर चिंता कर कम बच्चे पैदा करना देश के डेमोग्राफी को बदल रहा है। बच्चे बड़ी फीस वाले स्कूल में ही पढ़कर बड़े अधिकारी या व्यापारी बनेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। आज ज्यादातर आईएएस और आईपीएस छोटे शहरों या गांवों से आते हैं। उनके पास कोई भी सुविधा नहीं होती, लेकिन उनमें कुछ कर गुजरने का जुनून होता है। देश में जनसांख्यिकी संतुलन जरुरी है। मुसलमानों की आबादी बढ़ने का मतलब है कि भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश बनने की राह पर चल रहा है। हिंदुओं को यह बात समझ में आ जानी चाहिए। उनका बच्चा बड़ा बनकर बंगला, गाड़ी खरीदेगा लेकिन अगर ऐसे ही मुसलमानों की आबादी बढ़ती रही तो उसका सुख वो नहीं कोई मुसलमान भोगेगा और उसकी हालत वही होगी, जो आज बांग्लादेश या पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रही है।
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