राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्रियों समेत भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में मुर्मु ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। आदिवासी समाज से आने वाली मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं।
नामांकन से पहले द्रौपदी मुर्मू ने संसद भवन परिसर में स्थित बाबा साहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर और बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। तत्पश्चात वह नामांकन के लिए पहुंची। राज्यसभा महासचिव और पीठासीन अधिकारी पीसी मोदी के समक्ष उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया। उन्होंने चार सेट में नामांकन पत्र भरा।
यह नेता रहे उपस्थित
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, धर्मेन्द्र प्रधान, भूपेन्द्र यादव, गिरिराज सिंह, गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन मुंडा, अश्वनी चौबे तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, अर्जुन राम मेघवाल समेत कई अन्य केंद्रीय मंत्री शामिल रहे।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा भी शामिल रहे। बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणू देवी समेत जनता दल यूनाईटेड के अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह भी उपस्थित रहे। इसके साथ ही राजग के घटक दलों के नेता, सांसद तथा ओडिशा सरकार के मंत्री तथा तमाम सांसद उपस्थित रहे।
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से संदेश
नामांकन से पहले संवाददाताओं से बातचीत में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि भाजपा सोशल इंजीनियरिंग में विश्वास करती है इसलिए सब वर्ग के लोगों को संवैधानिक पदों पर बैठाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच है। सबको उनका समर्थन करना चाहिए। हम अपील करते हैं कि इतनी बड़ी जनजातीय नेता को सर्वसम्मति से चुना जाए।
वनवासी समाज गौरवान्वित
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत के समस्त जन और विशेषकर वनवासी, जनजाति समाज के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि एक वनवासी, जनजाति महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। स्वतंत्रता के लंबे कालखंड के बाद ऐसा अभूतपूर्व फैसला हुआ है। यह ऐतिहासिक निर्णय है।