श्रीलंका की नौसेना को भारत की तरफ से निशुल्क डोर्नियर विमान उपहार में देने पर श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भारत का अभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इससे समुद्री निगरानी में भारतीय नौसेना के साथ श्रीलंकाई वायुसेना और नौसेना के बीच सहयोग शुरू करने में मदद मिलेगी।
विक्रमसिंघे समुद्री निगरानी विमान सौंपे जाने के समारोह में उपस्थित थे। यह कार्यक्रम भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस के दिन मनाया गया। विक्रमसिंघे की नीतियों से ऐसा लग रहा है कि श्रीलंका चीन के चंगुल से छुटना चाहता है। इससे पहले भी श्रीलंका ने कुछ मामलों में चीन की बात मानने की बजाय भारत की सलाह पर अमल किया है।
भारतीय सेना के साथ समुद्री निगरानी की शुरुआत
उन्होंने कहा कि यह समुद्री निगरानी में भारतीय नौसेना के साथ श्रीलंकाई वायुसेना, श्रीलंकाई नौसेना के बीच सहयोग की शुरुआत है। विक्रमसिंघे ने 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ का जिक्र करते हुए कहा कि वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रसिद्ध नियति से वादा भाषण से प्रेरित हैं, जो भारत की आजादी की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त, 1947 को दिया गया था।
पुराने संबंधों को किया याद
विक्रमसिंघे ने कहा कि नेहरू ने श्रीलंका को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनवाने में अग्रणी भूमिका निभाई थी और पूरा सहयोग दिया था। उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि रहे वी कृष्ण मेनन ने विक्रमसिंघे के पिता की मदद की थी, जो उस समय संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता प्राप्त करने के लिए श्रीलंका सरकार की ओर से काम कर रहे थे।