राजग के राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय है । भारतीय जनता पार्टी के इस फैसले से विपक्ष ताश के पत्तों की तरह बिखर गया है। जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश फेल गई, वहीं महाराष्ट्र सरकार पर आए संकट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार की विपक्ष को एक साथ लाने की प्रयासों पर भी पानी फिर गया। लोग सवाल करने लगे कि जो महाराष्ट्र की सरकार नहीं बचा पाए वो राष्ट्रपति कैसे बनाएंगा?
इस तरह फेल हो गईं ममता
ममता बनर्जी राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर बीजेपी नेतृत्व को चुनौती देने की फिराक में थी । लेकिन विपक्ष के ही दूसरे दलों ने उनकी कोशिशों को पलीता लगा दिया । 15 जून को दीदी ने 22 राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई थी । लेकिन आम आदमी पार्टी , तेलंगाना राष्ट्र समिति जैसी पार्टियों ने हिस्सा नहीं लिया। ममता ने इस वरिष्ठतम पद के लिए शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल कृष्ण गोपाल गांधी को तैयार करने की कोशिश की, लेकिन इन सभी ने हारने के लिए उम्मीदवार बनने से मना कर दिया। इसके बाद विपक्षी दलों की एकता को झटके पर झटते लगने शुरू हो गए। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा कहते हैं,” कांग्रेस हमेशा से विपक्ष की एकता की पक्षधर रही है लेकिन प्रत्येक राजनीतिक दल अपने हितों के हिसाब से रणनीति तय करता है।”
..और फिर विपक्ष बिखरता चला गया
राष्ट्रपति के पिछले पांच चुनाव इस बात के गवाह हैं कि सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को हराने के लिए कभी भी विपक्ष एकजुट नही हो पाया। वर्ष 1997 में आखिरी बार सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुना गया था। जब बीजेपी और कांग्रेस सत्ता से बाहर थी । तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने पहले दलित उपराष्ट्रपति डॉ के.आर नारायणन को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पास राष्ट्रपति के लिए 30,000 वोट हैं । लेकिन नवीन पटनायक केन्द्र में नपी तुली राजनीति करते हैं । पिछले तीन राष्ट्रपति चुनावों में एनडीए का समर्थन करके ओडिशा के मुख्यमंत्री ने विपक्ष एकता को फ्लॉप कर दिया है।
आदिवासी महिला को प्रत्याशी बनाकर साधे कई समीकरण
एनडीए के राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मूर्मू को बनाकर भाजपा ने कई निशाने साधे हैं। उसने अपने घोर राजनीतिक विरोधी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार का विपक्ष का नेता बनने का सपना टूट गया है । महाराष्ट्र के राजनैतिक संकट ने उनको महाराष्ट्र तक सीमित कर दिया है । तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव के राष्ट्रीय नेता बनने का सपना टूट गया है । ममता बनर्जी के लिए भी ये किसी राजनीतिक सदमे से कम नहीं है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विपक्षी दलों के लिए ये कहावत चरितार्थ हो रही है कि” एक अनार सौ बीमार। फिलहाल द्रौपदी मुर्मू जनजातीय समाज से आने वाली पहली महिला के साथ -साथ सबसे कम उम्र की भी राष्ट्रपति होंगी।