देश की सबसे बड़ी मुंबई महानगरपालिका की एफडी पर प्रधानमंत्री तक की नजर! जानिये, क्या है सच

इस समय बीएमसी के विभिन्न बैंकों में 89 हजार करोड़ रुपये जमा यानी एफडी हैं। इनमें से 32 से 33 हजार करोड़ रुपये की सावधि जमा को किसी भी तरह निकाला नहीं जा सकता है

205

मुंबई महानगरपालिका के फिक्स्ड डिपॉजिट की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि इन सभी फिक्स्ड डिपॉजिट को जस का तस रखकर मुंबई का विकास कार्य नहीं हो पा रहा है। वास्तव में इस समय बीएमसी के विभिन्न बैंकों में 89 हजार करोड़ रुपये जमा यानी एफडी हैं। इनमें से 32 से 33 हजार करोड़ रुपये की सावधि जमा को किसी भी तरह निकाला नहीं जा सकता है। शेष राशि का ही विकास परियोजनाओं के लिए उपयोग किया जा सकता है। लेकिन मनपा द्वारा प्रस्तावित विकास कार्यों की लागत 90 हजार करोड़ के करीब है और यदि इन सभी परियोजनाओं की लागत को देखा जाए तो इनके लिए  जमा राशि कम है।

एफडी पर शिंदे और फडणवीस सरकार की नजर  
मुंबई मनपा में प्रशासक की नियुक्ति के बाद, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसके विकास कार्यों की समीक्षा की और सड़कों पर गड्ढों के मुद्दे पर प्रशासन को खरीखोटी सुनाई। सड़कों में गड्ढों को भरे जाने की जरूरत है, लेकिन बीएमसी के सावधि जमा राशि के कारम ऐसा हो नहीं पा रहा है। मुख्यमंत्री के बयान के बाद ऐसा माहौल बना है। कुछ दिन पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में विकास कार्यों की आधारशिला रखते हुए कहा था कि जब से राज्य में डबल इंजन की सरकार आई है, तब से मुंबई का विकास हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि पहले विकास इसलिए नहीं हो रहा था क्योंकि बीएमसी का पैसा बैंक में पड़ा है। अब विपक्षी पार्टियां शिंदे और फडणवीस सरकार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी नजर होने का आरोप लगा रही है।

57 से 58 हजार करोड़ का फंड संचय
इस पृष्ठभूमि में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने यह कहने की कोशिश की कि उन्होंने इन फिक्स्ड डिपॉजिट को बढ़ाने की कोशिश की है। दिलचस्प बात यह है कि तत्कालीन मनपा आयुक्त सुबोध कुमार ने तटीय सड़क सहित मुंबई में प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के रूप में फंगिबल एफएसआई के माध्यम से प्राप्त राजस्व को जमा करने का फैसला किया। इसके लिए अब तक करीब 15 हजार करोड़ रुपए का फंड जमा हो चुका है। इस तरह करीब 57 से 58 हजार करोड़ रुपये का फंड जमा हो चुका है और इतनी ही राशि का उपयोग मनपा द्वारा तटीय सड़क व अन्य परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है।

परियोजना कार्यों की लागत से पहले जमा की कम राशि
भविष्य निधि, पेंशन फंड, ग्रेच्युटी फंड, सेवानिवृत्ति योजना की सावधि जमा राशि, अन्य विशेष फंड, ठेकेदारों से ली गई जमा राशि वापस की जानी है, चारागाह के लिए शुल्क की राशि कुल 32 से 33 हजार करोड़ रुपये है। और चूंकि यह राशि आरक्षित है, इसलिए इस कोष को छुआ नहीं जा सकता। इसलिए बीएमसी के पास परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए 89 हजार करोड़ रुपए में से महज 57 से 58 हजार करोड़ रुपए ही बचे हैं। उसकी तुलना में मुंबई मनपा को 31 विभिन्न परियोजनाओं के लिए करीब 90 हजार 309 करोड़ रुपये की जरूरत है, हालांकि फिक्स्ड डिपॉजिट का आंकड़ा बड़ा दिखता है, लेकिन वास्तव में देखा जाए तो कि यह राशि परियोजनाओं की लागत की तुलना में बहुत कम है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.