बांग्लादेश मुक्ति के लिए पीएम ने भी किया था संघर्ष! जानें बांग्लादेश में पीएम मोदी के संबोधन की पंद्रह महत्वपूर्ण बातें

बांग्लादेश की यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोरोना काल में पहली विदेश यात्रा है। पीएम इस बीच बांग्लादेश नेशनल डे, काली मंदिर दर्शन और वहां के लोगों से भेंट करेंगे। इस बीच पांच करार भी हो सकते हैं।

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बांग्लादेश मुक्ति की पचासवीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की दो दिनों की यात्रा पर हैं। वे इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि हैं। अपने दो दिवसीय कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ढाका के अपने कार्यक्रम में बांग्लादेश के निर्माण, शेख मुजीबुर रहमान के संघर्ष को याद किया। उन्होंने अपनी स्मृतियों में संजोई उन यादों को बांग्लादेश के साथ साझा किया।

पीएम ने बताया कि, बांग्लादेश की स्वतंत्रता में सम्मिलित होना मेरे जीवन के पहले आंदोलन में से एक था। तब मेरी उम्र 20-22 वर्ष की थी। जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए सत्याग्रह किया था।

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प्रधानमंत्री के संबोधन की प्रमुख बातें…

  • पीएम ने कहा, बांग्लादेश की आजादी में शामिल होना मेरा पहला आंदोलन!
  • राष्ट्रपति अब्दुल हामिद जी, प्रधानमन्त्री शेख हसीना जी और बांग्लादेश के नागरिकों का मैं आभार प्रकट करता हूं।
  • आपने अपने इन गौरवशाली क्षणों में, इस उत्सव में भागीदार बनने के लिए भारत को सप्रेम निमंत्रण दिया
  • मैं सभी भारतीयों की तरफ से आप सभी को, बांग्लादेश के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूँ।
  • मैं बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान जी को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने बांग्लादेश और यहाँ के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया

  • मैं आज भारतीय सेना के उन वीर जवानों को भी नमन करता हूं जो मुक्तिजुद्धो में बांग्लादेश के भाइयों-बहनों के साथ खड़े हुये थे।
  • जिन्होंने मुक्तिजुद्धो में अपना लहू दिया, अपना बलिदान दिया, और आज़ाद बांग्लादेश के सपने को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई
  • बांग्लादेश के मेरे भाइयों और बहनों को, यहां की नौजवान पीढ़ी को मैं एक और बात बहुत गर्व से याद दिलाना चाहता हूं।
  • बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था
  • मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था
  • यहां के लोगों और हम भारतीयों के लिए आशा की किरण थे- बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान।
  • बॉन्गोबौन्धु के हौसले ने, उनके नेतृत्व ने ये तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को ग़ुलाम नहीं रख सकती
  • ये एक सुखद संयोग है कि बांग्लादेश के आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष का पड़ाव, एक साथ ही आया है।
  • हम दोनों ही देशों के लिए, 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारी विरासत भी साझी है, हमारा विकास भी साझा है
  • आज भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों की सरकारें इस संवेदनशीलता को समझकर, इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रही हैं। हमने दिखा दिया है कि आपसी विश्वास और सहयोग से हर एक समाधान हो सकता है।
  • हमारा Land Boundary Agreement भी इसी का गवाह है
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