पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अडानी समूह के प्रतिद्वंद्वी उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी (Darshan Hiranandani) से करोड़ों रुपये और महंगे उपहार लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोपों में नया मोड़ आ गया है। हीरानंदानी ने इन आरोपों को सही बताया है। हीरानंदानी की ओर से जारी एक हलफनामे (affidavit) में कहा गया है कि उन्होंने महुआ मोइत्रा को अडानी ग्रुप को लेकर प्रश्न उपलब्ध कराए थे। इस खुलासे के बाद मोइत्रा की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी बैक फुट पर है। हालांकि महुआ ने दावा किया है कि भाजपा (B J P) के दबाव में हीरानंदानी ने इस तरह का हलफनामा दिया है।
खत्म हो सकती है संसद की सदस्यता
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस मामले में गंभीर हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि घूस लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप बहुत गंभीर है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में इस तरह के मामलों में सांसदों की सदस्यता खत्म करने का रिकॉर्ड रहा है। बहुत हद तक संभव है कि महुआ को यह दिन देखना पड़े। अगर ऐसा हुआ तो यह तृणमूल कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका हो सकता है। लोकसभा अध्यक्ष ने इस मामले को संसद की अध्यक्ष कमेटी के पास भेजा है। दोनों को कमेटी ने 26 अक्टूबर को बयान रिकॉर्ड करने के लिए बुलाया है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने की थी शिकायत
एक दिन पहले 19 अक्टूबर को एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने कहा था कि उन्हें संसद में ‘सवाल पूछने के लिए कैश लेने’ के मामले को लेकर महुआ मोइत्रा के खिलाफ दर्शन हीरानंदानी की चिट्ठी अभी तक नहीं मिली है। उल्लेखनीय है कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखी चिट्ठी में कहा था कि महुआ मोइत्रा ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि ये विशेषाधिकार के गंभीर उल्लंघन, सदन की अवमानना और आईपीसी की धारा-120 के तहत यह अपराध है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के एक वकील भी इसी तरह का दावा कर सीबीआई निदेशक को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग कर चुके हैं।
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