नई दिल्ली (New Delhi) स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सम्मेलन केंद्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (Draupadi Murmu) ने आज किसानों के अधिकारों पर पहली वैश्विक संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं। इसलिए उनके अधिकारों की रक्षा करना और उनके भविष्य को सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी हमारी है। क्योंकि किसानों (farmers) के अधिकारों की रक्षा करके हम विश्व के भविष्य की रक्षा करते हैं और इसे अधिक उज्ज्वल तथा समृद्ध बनाते हैं।
भारत में पादपों की 45 हजार से अधिक किस्में
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) की मेजबानी में आयोजित इस संगोष्ठी में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत (India) में पादपों (plants) की 45 हजार से अधिक किस्में और विभिन्न तरह के मसाले हैं। इनका संरक्षण करके हम न केवल मानवता की रक्षा करेंगे बल्कि समूचे विश्व की भी रक्षा करेंगे। विश्व के 59 देशों के विख्यात वैज्ञानिक, किसान और विशेषज्ञ इस कार्यक्रम में भागीदारी कर रहे हैं। वे खाद्य और कृषि पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि के अनुच्छेद नौ में प्रतिष्ठापित किसानों के अधिकारों से संबंधित मुख्य मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
15 सितंबर तक चलेगी संगोष्ठी
बता दें कि भारत (India) पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकारों के संरक्षण अधिनियम 2001 (Conservation Act 2001) के जरिये पादप विविधता पंजीकरण के संदर्भ में किसानों के अधिकारों ((rights) को इसमें शामिल करने वाला विश्व का पहला देश है। इटली के रोम स्थित खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के खाद्य और कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि (अंतर्राष्ट्रीय संधि) के सचिवालय द्वारा आयोजित, वैश्विक संगोष्ठी की मेजबानी कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा की जा रही है। भारत 12 से 15 सितंबर, 2023 तक इस पहली ‘किसान अधिकारों पर वैश्विक संगोष्ठी’ (Global Seminar on Farmers Rights) की मेजबानी कर रहा है।
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