पंजाब: विवादों की नवजोत, संगठन और सरकार में अब इस मुद्दे पर तकरार

पंजाब में लंबे समय से कांग्रेस सरकार में विवाद उत्पन्न होते रहे हैं। प्रदेशाध्यक्ष नवजोतसिंह सिद्धू और सरकार के बीच लगातार अंतर्विरोध बना हुआ है।

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मुख्यमंत्री चरणजीतसिंह चन्नी के कार्यभार संभालने के बाद से ही उन्हें विरोधियों का कम लेकिन, अपनों का प्रहार अधिक झेलना पड़ रहा है। अब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने एक नए मुद्दे से राज्य सरकार की दिक्कत बढ़ा दी है। इन सिलसिलेवार प्रहारों से कांग्रेस के संगठन और सरकार में तकरार बढ़ने की आशंका है।

नवजोतसिंह सिद्धू ने पंजाब की परिस्थिति का बयान क्या किया, राज्य सरकार की बखिया ही उधड़ गई है। सिद्धू ने कहा है कि, राज्य सरकार उन मूल मुद्दों से ध्यान न बहकाए जिनका हल सामान्य जन और पार्टी कार्यकर्ता को चाहिए। आज पंजाब देश में सबसे कर्जदार राज्य है। राज्य के जीडीपी का 50 प्रतिशत कर्ज है। हमारे खर्च का आधा भाग महंगे ऋण पर आधारित है।

वित्तीय उत्तरदायित्व और पारदर्शिता पंजाब मॉडल की नींव है। वित्तीय उत्तरदायित्व को प्रत्येक योजना की घोषणा के साथ ही आर्थिक जिम्मेदारी चाहिए, चाहे यह आवक पर निर्भर हो या ऋण लेकर। जबकि, पारदर्शिता के लिए राज्य की आर्थिक परिस्थिति की माहवार जानकारी चाहिए।

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होम पिच पर अपनी ही टीम के खिलाफ मैच
कैप्टन के विरुद्ध शुरू हुई नवजोतसिंह सिद्धू की बल्लेबाजी प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद भी नहीं थमी। इसका परिणाम ये हुआ कि जीवन भर कांग्रेस के साथ राजनीतिक पारी खेलनेवाले कैप्टन को अपना विकेट गंवाना पड़ा। इस विकेट के डाउन होने के बाद पंजाब में मुख्यमंत्री के रूप आशा बनी कि नवजोतसिंह सिद्धू को जगह मिलेगी, लेकिन आ गए चरणजीतसिंह चन्नी। इसके बाद प्रदेशाध्यक्ष सिद्धू ने तत्काल चन्नी का समर्थन तो किया, लेकिन चंद घंटों बाद ही अपने पद से त्यागपत्र भेजकर त्यागपत्र की तलवार भांज दी।

पंजाब में कांग्रेस का राजनीतिक राड़ा लगा था कि समाप्त हो गया, लेकिन घटनाएं बता रही थी कि, यह जितनी सुलझती लगती है, उसकी दोगुना उलझ रही है। इसी सब के बीच प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति के लिए हाईकमान से गुहार लगा दी। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी राजकाज संभाल चुके थे, दूसरी ओर पद छोड़ चुके नवजोतसिंह सिद्धू विरोधी रूप में बने हुए थे। कांग्रेस हाईकमान से चर्चाएं चल रही थी, मुख्यमंत्री भी सिद्धू से मिले। इसके कई दिन बाद नवजोतसिंह सिद्धू ने अपना त्यागपत्र वापस ले लिया, लगा सबकुछ सुलझ गया, लेकिन पंजाब की कांग्रेस सरकार में कहां संभव होना था ये। नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने तरकश का एक तीर छोड़ा और राज्य के अटॉर्नी जनरल के पद पर नई नियुक्ति को लेकर बयानबाजी शुरू कर दी। इसे सुलझा पाते कि, अब आरोप लगाया दिया है कि, पंजाब देश में सबसे कर्जदार राज्य है।

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