पंजाब कांग्रेस ने अपने 32 उम्मीदवारों को राजस्थान भेज दिया है। कांग्रेस के इस कदम से चुनाव परिणाम आने से पहले ही पंजाब से लेकर दिल्ली तक की राजनीति गरमा गई है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या कांग्रेस को प्रदेश में बहुमत मिलने का विश्वास नहीं है और उसे परिणाम आने के बाद पार्टी विधायकों के पक्षानंतर का डर सता रहा है?
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त से बचने के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को राजस्थान के कई रिसोर्ट में भेज दिया है। इस मामले में पंजाब लोक कांग्रेस के सुप्रीमो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा है कि चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को कैद कर दिया है। उसे हार का डर सता रहा है।
कैद में कांग्रेस के उम्मीदवार
कांग्रेस के 75 उम्मीदवार राजस्थान पहुंच चुके हैं। इनके लिए पार्टी ने 3 मार्च 2022 को जयपुर, जैसलमेर और जोधपुर के कई रिसोर्ट बुक कराए हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ही पंजाब में अपनी सरकार बनने का दावा कर रही हैं। इस बीच कांग्रेस के इस कदम को लेकर राजनैतिक हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन उम्मीदवारों को जीतने की संभावना है, उन्हें राजस्थान भेजा गया है।
गुप्त सर्वे के परिणाम ने बढ़ाई चिंता
पंजाब के 53 वर्षो के इतिहास में पहली बार बहुकोणीय लड़ाई शुरू है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस और शिरोमणी अकाली दल ने गुप्त सर्वे कराए हैं, जिनमें किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है। समझा जा रहा है कि कांग्रेस के 21 उम्मीदवार ऐसे हैं, जो परिणाम आने के बाद पार्टी बदल सकते हैं।
गैर कांग्रेसी सरकार बनने के आसार
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को मालूम है कि शिरोमणी अकाली दल किसी भी कीमत पर इन दोनों पार्टियों को समर्थन नहीं देगा। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शिरोमणि अकाली दल 35 सीटें जीत सकती है। पंजाब लोक कांग्रेस , भाजपा ,शिरोमणी ढीढंसा गुट 15-15 सीटों पर जीत प्राप्त कर सकते हैं । कांग्रेस को डर सता रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रभाव में उसके कई उम्मीदवार हैं। वे परिणाम आने पर उनके साथ जा सकते हैं।
चुनावी अनुमान हो सकते हैं ध्वस्त
इस बार 2017 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव की अपेक्षा 5.45 प्रतिशत कम मतदान होने से सभी राजनीतिक दलों के अनुमान गलत साबित हो सकते हैं। राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मालवा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी ने 2017 में अच्छा प्रदर्शन किया था। दक्षिण मालवा के 7 जिलों की 28 सीटों पर 5 प्रतिशत कम मतदान हुआ है, लेकिन अबोहर और फिरोजपुर में क्रमशः 3.71 प्रतिशत और 1.25 प्रतिशत मतदान बढ़ा है। इस कारण राजनैतिक पंडितों का अनुमान गलत साबित हो सकता है।