पंजाब की राजनीति में डेरों की अहमियत किसी से छिपी हुई नहीं है। विशेषकर हरियाणा के सिरसा स्थित गुरमीत राम रहीम के डेरे के पास वोटों की बड़ी ताकत है। पंजाब चुनावों से ठीक पहले 21 दिनों की फर्लो लीव पर आए गुरमीत राम रहीम ने किस राजनीतिक दल के पक्ष में वोटो का “सच्चा सौदा” किया है, इस पर सस्पेंस बना हुआ है।
पंजाब विधान सभा की 117 सीटों के लिए एक चरण में मतदान संपन्न हो गया है। लेकिन, सबकी निगाह इस पर है कि डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों ने किसके पक्ष में मतदान किया है। पंजाब में डेरा सच्चा सौदे के डेरों की संख्या करीब 10 हजार है, पूरे देश में इस डेरे के करीब 6 करोड़ अनुयायी हैं। पंजाब में इसका प्रभाव राज्य की कुल 117 सीटों में से 56 विधानसभा सीटों पर है। ऐसे में डेरे के वोटों का एक दो फीसदी स्विंग सत्ता का समीकरण बदल सकता है।
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पंजाब के मालवा में डेरे का प्रभाव
मालवा क्षेत्र से विधानसभा की सबसे अधिक 69 सीटें आती है। डेरा सच्चा सौदा के लगभग 40 सीटों पर प्रभाव मजबूत माना जाता है। पाकिस्तान सीमा से लगे फिरोजपुर, मोगा, अबोहर, फाजिल्का, बठिंडा, फरीदकोट, मुक्तसर, मानसा, संगरूर, बरनाला और पटियाला में भारी संख्या में डेरे के अनुयायी रहते हैं। फिरोजपुर में 90 हजार और फाजिल्का में 58 हजार डेरे के अनुयायी रहते है।
कैसे मतदान करने का मैसेज देता है डेरा?
डेरा सच्चा सौदा की पॉलिटिकल कमेटी किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में मतदान करने का फैसला लेती है। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम इस पर अंतिम मोहर लगाते हैं। परंतु, इस बार किस पार्टी के पक्ष में मतदान किया है, इसको गुप्त रखा गया है क्योंकि, चुनावों से पहले गुरमीत राम रहीम 21 दिनों की फर्लों पर आए हैं। 7 फरवरी से 28 फरवरी तक उनको फर्लो मिली है कानूनी अड़चनों के चलते डेरा ने कोई खुला संदेश अपने अनुयायियों को नही दिया है।
गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामलें में 20 साल की सजा हुई है। पत्रकार छत्रपति हत्याकांड और रणजीत हत्याकांड में भी उनको सजा हुई है।
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