पंजाब और हरियाणा एक बार फिर आमने-सामने हैं। जल विवाद को लेकर हरियाणा सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को साफ कह दिया है कि, पंजाब में आप की सरकार है पहले हरियाणा को पानी दीजिए तभी हरियाणा दिल्ली को पानी देगा। आप पार्टी के समक्ष दोहरा संकट है, पंजाब में उसकी सरकार है, जिसका हरियाणा के साथ जल को लेकर पुराना विवाद है। दूसरी और दिल्ली को हरियाणा से अधिक पानी चाहिए, जिसको लेकर भी विवाद है।
दिल्ली सरकार जल संकट के लिए हरियाणा सरकार को दोषी ठहराती है। लेकिन इस बार पेंच फंस गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल को साफ कह दिया है कि, पहले पंजाब से हरियाणा के हिस्से का पानी दिला दीजिए। इसके पश्चात ही हरियाणा और दिल्ली के बीच कुछ बात बनेगी।
पंजाब- हरियाणा में जल विवाद
वर्ष 1966 में हरियाणा राज्य के गठन के बाद से ही पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। वर्ष 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पटियाला जिले के कपूरी गांव से नहर खुदवाकर सतलुज यमुना लिंक नहर बनाने की शुरूआत की थी। पंजाब को अपने हिस्से की 122 किलोमीटर नहर बनानी थी और हरियाणा को 92 किलोमीटर की नहर का निर्माण करना था। लेकिन पानी के मुद्दे पर दोनों राज्यों की राजनीति टिकी हुई है। पंजाब और हरियाणा में कई सरकारें पानी के मुद्दे पर बनीं भी और गिरी भी ।
सर्वोच्च न्यायालय में जल विवाद
पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद की गंभीरता का आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि, अकाली दल नेता हरचंद सिंह लोंगोवाल और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीच जल समझौता हुआ था। जिसके अंतर्गत सतलुज यमुना लिंक का निर्माण होना तय हुआ था। लेकिन इस समझौते के विरोध में कुछ समय बाद ही संत लोंगोवाल की आतंकवादियों ने हत्या कर दी।
हरियाणा अपने हिस्से का पानी लेने के लिए वर्ष 1996 में सुप्रीम कोर्ट के पास गया और कोर्ट ने 15 जनवरी 2002 को पंजाब सरकार को सतलुज यमुना लिंक नहर बनाने का निर्देश दिया। पंजाब ने भी 2004 में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई लेकिन सुप्रीम ने जल विवाद पर पंजाब का पक्ष को सुनने से इंकार कर दिया इसके बाद पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वर्ष 2004 में पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट पंजाब विधानसभा में लाकर सभी जल समझौतों को रद्द कर दिया। हरियाणा ने एक बार फिर वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट के पास गया और कोर्ट ने इस जल विवाद को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ को सौंप दिया ।
हरियाणा और दिल्ली में जल विवाद
दिल्ली –हरियाणा के बीच विवाद वर्ष 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और हरियाणा के बीच जल विवाद पर एक फैसला दिया। जिसके तहत हरियाणा को वजीराबाद बैराज के जरिए दिल्ली को जलापूर्ति करने के लिए कहा, दिल्ली में जब भी जल संकट होता है तो वह आरोप हरियाणा पर ही लगाता है। जुलाई 2021 में भी दिल्ली सरकार पानी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जहां कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि पानी का संकट होता नहीं और आप कोर्ट चले आते हैं। ऐसे में पंजाब और दिल्ली में आप की सरकार है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पानी के विवाद को हल करने का नया पांसा फेंका है।