राजस्थान में पंजाब पार्ट 2? कांग्रेस का सियासी संकट से निकलना मुश्किल

चुनाव से पहले लगभग छह महीने चले राजनीतिक ड्रामे के अंत में पार्टी का सफाया हो गया, उसी तरह की स्थिति अब राजस्थान में भी बनती दिख रही है।

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राजस्थान में कांग्रेस की आगे की राह आसान नहीं नजर आ रही है। जारी राजनैतिक संकट से पार्टी को सुरक्षित निकाल ले जाना पार्टी के लिए आसान नहीं है। स्थिति देखते हुए ऐसा लगता है कि कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब से कोई सबक नहीं लिया। यही कारण है कि राजस्थान में इस तरह का राजनीतिक संकट पैदा हुआ है।

फरवरी 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब प्रदेश कांग्रेस में हाई वोल्टेज ड्रामा चला था। पार्टी हाईकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद पार्टी के दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर नया दांव खेला था। लेकिन उसके इस दांव से इस कुर्सी पर नजर गड़ाए तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू काफी नाराज हो गए थे। इस कारण उनकी बयानबाजी और कथित रूप से पार्टी विरोधी गतिविधियों ने कांग्रेस को रसातल में पहुंचा दिया। चुनाव हुआ और अप्रत्याशित रूप से आम आदमी पार्टी की बंपर जीत हुई। कांग्रेस 18 पर सिमट गई और पार्टी का बंटाढार हो गया। कुल मिलाकर चुनाव से पहले लगभग छह महीने चले राजनीतिक ड्रामे के अंत में पार्टी का सफाया हो गया, उसी तरह की स्थिति अब राजस्थान में भी बनती दिख रही है।

भाजपा ने की राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग
राजस्थान कांग्रेस में नए मुख्यमंत्री के नाम तय करने को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच भाजपा ने मौजूदा गहलोत सरकार को अल्पमत में बता कर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। गुलाबचंद कटारिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ समेत अन्य नेताओं ने ट्वीट कर यह मांग की है।

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने बताया मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कांग्रेस में चल रहे इस घटनाक्रम को मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई बताया। कटारिया ने कहा कि कांग्रेस विधायकों की खींचतान पर हम नजरें जमाए हुए हैं और कांग्रेस जब पूरी तरह से टूटेगी तो फिर इस घटनाक्रम में हमारी भी एंट्री हो सकती है। कटारिया के अनुसार जब गहलोत समर्थित विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है, तब यह साफ हो चुका है कि प्रदेश की सरकार अल्पमत में आ चुकी है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाना चाहिए।

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उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मांगा गहलोत से इस्तीफा
उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी ट्वीट कर कहा कि जिनके इशारे पर त्यागपत्र देने का खेल चल रहा है, उसे जनता भली-भांति जानती है। उन्होंने लिखा कि इस्तीफे का खेल कर समय जाया न करें। अगर इस्तीफा देना ही है तो मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर विधानसभा भंग का प्रस्ताव राज्यपाल महोदय को तत्काल भेजें। राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रही है। राठौड़ ने लिखा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आप नाटक क्यों कर रहे हो। मंत्रिमंडल के इस्तीफे के बाद अब देरी कैसी आप भी इस्तीफा दे दीजिए। राठौड़ ने इसके अलावा भी अलग-अलग ट्वीट कर कांग्रेस में चल रही इस जंग को अंतर्द्वंद का संघर्ष बताया।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनियां ने भी साधा कांग्रेस पर निशाना
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनियां ने भी मौजूदा घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कई ट्वीट किए। पूनियां ने लिखा कि रुझान आना प्रारंभ हो चुके हैं, जय भाजपा-तय भाजपा। एक अन्य ट्वीट में पूनियां ने लिखा कि इतनी अनिश्चितता तो भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच में भी नहीं है, जितनी राजस्थान की कांग्रेस पार्टी में नेता को लेकर है। विधायकों की बैठकें अलग-अलग चल रही हैं। इस्तीफों का सियासी पाखंड चल रहा है, यह क्या राज चलाएंगे? कहां ले जाएंगे यह राजस्थान को, अब तो भगवान ही बचाए राजस्थान को।

भाजपा के वरिष्ठ नेता वासुदेव देवनानी ने राहुल गांधी पर किया तंज
भाजपा के वरिष्ठ नेता वासुदेव देवनानी ने इस घटनाक्रम पर ट्वीट करते हुए लिखा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर गहलोत की राजस्थान में कांग्रेस तोड़ो शोभा यात्रा शुरू हो चुकी है। प्रदेश नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व से कांग्रेस विधायकों की बगावत भारत जोड़ो यात्रा का प्रभावी असर राजस्थान में दिख रहा है।

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