प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई थी चूक? स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया सच

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक को लेकर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पुलिस प्रशासन को बेदाग बताते हुए कार्रवाई करने से इनकार कर दिया, वहीं खुद पुलिस अधिकारियों का कुछ और ही कहना है।

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पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवाल का जवाब मिलता दिख रहा है। एक-एक कर मिल रही जानकारियों के बीच इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। इस नए और बड़े खुलासे में बताया गया है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर पुलिस और पंजाब की कांग्रेस सरकार का व्यवहार किस तरह का था। एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पुलिस प्रशासन को इस मामले में बेदाग बताते हुए कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है, वहीं खुद पुलिस अधिकारियों का कुछ और ही कहना है।

फिलहाल फिरोजपुर में 5 जनवरी को कथित रुप से हुई सुरक्षा में चूक की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस बीच इंडिया टूडे के स्टिंग ऑपरेशन में यह बात सामने आई है कि प्रधानमंत्री की रैली से कुछ समय पहले तक पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात की जानकारी दे दी गई थी कि प्रदर्शनकारियों ने रास्ता जाम कर दिया है।

स्टिंग ऑपरेशन में क्या है?
-इस स्टिंग ऑपरेशन में सीआईडी के डीएसपी सुखदेव सिंह यह कह रहे हैं कि 2 जनवरी को उन्होंने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात की सूचना दे दी थी कि फिरोजपुर सहित मक्खू, हीरेक, फाजिल्का और मोगा आदि क्षेत्र से भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी फूल समूह के किसान प्रधानमंत्री की रैली का उग्र विरोध कर सकते हैं।

-फिरोजपुर के उपायुक्त,एसएसपी, इस रेंज के आइजी को बता दिया गया था कि किसान पंडाल में पहुंच सकते हैं। यदि पंडाल में जाने से उन्हें रोक दिया जाए तो वे सड़क पर धरना देकर जाम लगा सकते हैं। किसानों ने सड़क पर उतरने की घोषणा पहले ही कर दी थी। रैली के दिन 5 जनवरी को जब प्रधानमंत्री का काफिला बठिंडा से निकला को उस दिन भी लगातार इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी जा रही थी।

-एसएसपी ने फिरोजपुर पुलिस को यह भी बताया गया कि किसान फिरोजपुर के नाकेबंदी को तोड़कर आगे बढ़ गए हैं। उन्हें यह भी स्पष्ट कर दिया गया था कि जिस मार्ग से प्रधानमंत्री का काफिला जाने वाला है, उसे किसानों ने रोक दिया है। प्रधानमंत्री के वहां पहुंचने से कुछ देर पहले तक हम उन्हें लगातार जानकारी उपलब्ध करा रहे थे। उनको यह भी बता दिया गया था कि किसान सड़क पर आ चुके हैं। हमारी जिम्मेदारी सुरक्षा के लिए जानकारी उपलब्ध कराने की थी। वह काम हमने किया।

किसान नहीं कट्टरपंथी थे प्रदर्शनकारी
दूसरी ओर स्टिंग ऑपरेशन में थाना प्रभारी बीरबल सिंह का कहना है कि सभी को पता है कि विरोध हो रहा है। मैं भी पढ़ा-लिखा हूं और जानता हूं कि वे किसान नहीं थे, कट्टरपंथी थे और नाम किसान का दे दिया गया था, क्योंकि किसानों के नाम पर भीड़ इकट्ठा करना आसान है।

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