Raj Thackeray: मनसे प्रमुख ने औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग का क्यों किया विरोध? यहां पढ़ें

जब अफ़ज़ल खान की प्रतापगढ़ में हत्या कर दी गई तो उसे वहीं दफनाया गया। शिवाजी महाराज की स्वीकृति के बिना उनका वहां दफ़न संभव नहीं था।

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Raj Thackeray: पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र से औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेजी से चल रही है। गुड़ी पड़वा पर आयोजित एक समारोह में बोलते हुए मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस मुद्दे पर पार्टी की स्थिति स्पष्ट की।

राज ठाकरे ने इस मुद्दे परपर कहा, ‘मराठे सभी युद्ध हारे, लेकिन औरंगजेब एक भी युद्ध नहीं जीत सका। छत्रपति शिवाजी और संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद वह दिल्ली चला गया। वह एक बड़ा बादशाह था। लेकिन वह शिवाजी के नाम से डरता था। उनका राज्य दो- ढाई जिले का था। इसके बावजूद महाराष्ट्र में रुका। वहां पर जो भी सजी हुई कब्रें हैं उन्हें हटा दें, ताकि केवल कब्रें ही दिखाई दें। वहाँ एक बड़ा बोर्ड लगाओ… ताकि सबको पता चले की औरंगजेब जो हम मराठों को खत्म करने आया था, उसे यहीं दफनाया गया, यह हमारा इतिहास है।’

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अफ़ज़ल खान को प्रतापगढ़ में क्यों दफनाया?
जब अफ़ज़ल खान की प्रतापगढ़ में हत्या कर दी गई तो उसे वहीं दफनाया गया। शिवाजी महाराज की स्वीकृति के बिना उनका वहां दफ़न संभव नहीं था। महाराज से पूछे बिना वे ऐसा नहीं हो सकता था। ताकी दुनिया को पता चले कि यहां कौन दफन है। महाराज ने शायद इस बारे में नहीं सोचा होगा। बसों में बच्चों को भरकर भ्रमण पर ले जाया जाए और उन्हें बताया जाए कि हमारे महाराज ने उसे दफना दिया था। हम अगली पीढ़ी को क्या बताएंगे? हम युवाओं से अनुरोध करते हैं कि वे व्हाट्सएप से इतिहास पढ़ना बंद करें। क्या फिल्म में विक्की कौशल की मृत्यु के बाद आपको संभाजी महाराज के बारे में याद आया? क्या आपने अक्षय खन्ना की वजह से औरंगजेब के क्रूरता का पता चला? जो हिन्दू फिल्में देखकर जागते हैं वे किसी काम के नहीं हैं। इतिहास जानने के लिए आपको इतिहास की पुस्तकें पढ़नी होंगी। और जब आप इतिहास के पन्ने पढ़ेंगे तो आपकी भावनाओं और पहचानों के के बारे में आपकी आखें खुलेंगी । राज ठाकरे ने यह भी कहा कि मूलतः विषय अलग-अलग हैं और आपको गुमराह किया जा रहा है।

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साढ़े तीन सौ साल बाद अब इसकी चर्चा क्यों?
राज ठाकरे ने आलोचना करते हुए कहा कि मुंबई हवाई अड्डा अडानी को दे दिया गया, नवी मुंबई हवाई अड्डा अडानी को दे दिया गया, बंदरगाह अडानी को दे दिया गया, वे होशियार निकले और हम अज्ञानी निकले। अफ़ज़ल खान का वकील कुलकर्णी नामक एक ब्राह्मण था। शिवाजी महाराज के वकील भी ब्राह्मण थे। उस समय हर कोई किसी न किसी के लिए काम कर रहा था। उस समय क्या निर्णय लिये गये और किन परिस्थितियों में लिये गये, इसके बारे में क्या जानकारी है? साढ़े तीन सौ साल बाद अब इसकी चर्चा क्यों हो रही है? संभाजी महाराज ने महाराजा के सामने औरंगजेब की 5000 की मनसबदारी की पेशकश स्वीकार कर ली थी। यह महाराज की अनुमति के बिना होगा? अब हम अदालत में फंस गए हैं, देखते हैं आगे क्या होता है, यही तो राजनीति है। आज इन लोगों को कुछ भी पता नहीं है। मिर्जा राजा जय सिंह हिन्दू थे न? उदयभान राजपूत, जिसने सिंहगढ़ में तानाजी के साथ लड़ाई लड़ी थी, वह हिंदू था न? राज ठाकरे ने यह भी पूछा कि हम किस युग में जी रहे हैं।

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