प्रदेश में 25 नवंबर को मतदान के बाद राजस्थान विधानसभा की अगले 5 साल की सूरत तय हो जाएगी। इस बीच जीत-हार के खेल में प्रदेश की राजनीति के नामी चेहरे भी अपनी किस्मत को कसौटी पर जनता के जरिए परखेंगे। दिग्गज राजनेताओं के लिए चुनावी बाजी इस मर्तबा इतनी आसान भी नहीं होगी। बड़े नामों में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से करीब एक दर्जन नेता शामिल हैं, जिनके सामने मुकाबला कांटे का होगा।
इनकी अग्निपरीक्षा
राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर और हॉट सीट के लिए सत्ता पक्ष के कई बड़े नाम चर्चा में हैं। इनमें सबसे ऊपर पूर्व मंत्री और पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी का नाम है। मारवाड़ में बाड़मेर जिले की बायतु सीट से चौधरी कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मतदान से करीब एक सप्ताह पहले उनके क्षेत्र में जनसभा को भी संबोधित करेंगे। हरीश चौधरी के लिए इस बार मुकाबला आसान नहीं होगा। उनके सामने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से भी प्रत्याशी है, तो भाजपा का चेहरा भी खास मजबूत दिख रहा है।
मझधार में इनकी भी नैया
इसके अलावा पिछली मर्तबा वसुंधरा राजे के सामने चुनाव लड़ने वाले मानवेंद्र सिंह अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह की राजनीतिक विरासत को सहेजने के लिहाज से बाड़मेर के शिव से मुकाबले में उतरे हैं। उनकी सीट भी त्रिकोणीय मुकाबले का सामना कर रही है, जहां भाजपा से बागी युवा नेता रविंद्र सिंह उन्हें कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। सरकार के मंत्री रहे रमेश मीणा सपोटरा से, शकुंतला रावत बानसूर से, कोटपूतली से राजेंद्र यादव और लालसोट से परसादी लाल मीणा भी चुनावी भंवर में खुद को फंसा हुआ देख रहे हैं। प्रचार अभियान के दौरान इन नेताओं के लिए भी जमीनी फीडबैक बेहतर नहीं कहा जा सकता है, जबकि बीकानेर पश्चिम से बीडी कल्ला का मुकाबला और हिंदुत्व फेस जेठानंद व्यास से होगा।
इनके सामने भी बड़ी चुनौती
भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी कई बड़े नाम इस चुनाव में चुनौती से घिरे हुए हैं। इनमें सबसे ऊपर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम आता है, जो इस बार अपनी सीट चूरू को छोड़कर तारानगर से भाग्य आजमा रहे हैं। उनके सामने कांग्रेस से नरेंद्र बुडानिया होंगे, जिनके समर्थन में राहुल गांधी जल्द ही जनसभा को संबोधित करेंगे। पूरे राजस्थान की निगाह इस सीट पर है। इसके अलावा राज्यसभा सांसद और पूर्वी राजस्थान के दिग्गज आदिवासी नेता किरोड़ी लाल मीणा की सीट भी राजनीतिक पंडितों की निगाह में है। मीणा इस बार सवाई माधोपुर से प्रत्याशी हैं, जहां उनके सामने पार्टी की बाकी आशा मीणा और मौजूदा विधायक दानिश अबरार चुनौती पेश कर रहे हैं। उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनियां एक बार फिर आमेर से प्रत्याशी हैं, जहां वे एक जीत और एक हार के बाद तीसरी बार चुनावी समर में कमल के निशान पर प्रत्याशी हैं, तो कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में आई ज्योति मिर्धा का मुकाबला नागौर में अपने ही रिश्ते में चाचा से हो रहा है। इस सीट पर कांग्रेस के बागी हबीबुर्रहमान भी मुकाबला की राह को आसान नहीं होने देंगे, जबकि अलवर के तिजारा में महंत बालक नाथ को बसपा से कांग्रेस में आए इमरान की कड़ी चुनौती मिलेगी।