यूक्रेन-रूस के सैन्य कैदी रिहा! जानें, किस देश के कितने सैनिक छोड़े गए

215 यूक्रेनी और विदेशी नागरिकों की रूसी कैद से रिहाई तुर्किये और सऊदी अरब की मदद से संभव हो पाई।

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यूक्रेन पर रूसी हमले के करीब आठ माह बाद आपसी सहमति के आधार पर 22 सितंबर को दोनों देशों के बीच सैन्य कैदियों की रिहाई हुई। रिहा होने वालों में कई उच्च स्तरीय लोग भी शामिल हैं। इनमें पुतिन समर्थक मेदवेदचुक भी रिहा हुए हैं। दोनों देशों के बीच सैनिकों की अदला-बदली महीनों की वार्ता के बाद संभव हुआ है।

इस रिहाई में मारीपोल की स्टील फैक्ट्री से पकड़े गए 215 यूक्रेनी और विदेशी लड़ाकों को रूसी कैद से मुक्त कराया गया है। बदले में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खास यूक्रेनी नेता और 55 अन्य कैदियों को मुक्त कर रूस को सौंपा गया है।

215 यूक्रेनी और विदेशी नागरिक रिहा
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बताया है कि 215 यूक्रेनी और विदेशी नागरिकों की रूसी कैद से रिहाई तुर्किये और सऊदी अरब की मदद से संभव हो पाई। जिन लोगों की रिहाई हुई है, उनमें से कई रूस में मौत की सजा का खतरा झेल रहे थे। इस प्रक्रिया में सबसे चर्चित रिहाई पुतिन समर्थक यूक्रेन के विपक्षी नेता विक्टर मेदवेदचुक की हुई है। 68 वर्षीय मेदवेदचुक को 24 फरवरी को रूसी हमला होने से पहले ही यूक्रेनी सरकार ने घर में नजरबंद कर दिया था लेकिन वह भाग निकले थे। अप्रैल में उन्हें फिर से पकड़कर कैद में डाल दिया गया। उन पर राष्ट्रद्रोह और आतंकी संगठन की मदद करने के आरोप थे। उन पर रूस समर्थित अलगाववादियों के साथ व्यापार करने का भी आरोप था।

पुतिन मेदवेदचुक की बेटी के गाडफादर
कहा जाता है कि पुतिन मेदवेदचुक की बेटी के गाडफादर हैं, उसे आगे बढ़ाने में पुतिन की बड़ी भूमिका है। मेदवेदचुक यूक्रेनी संसद में विपक्षी सांसदों के सबसे बड़े समूह के नेता भी हैं। रूस से युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन सरकार ने मेदवेदचुक की फार लाइफ पार्टी की गतिविधियां निलंबित कर दी हैं।

यूक्रेन के पांच कमांडर भी रिहा
इस अदला-बदली में यूक्रेन को अपने वे पांच कमांडर वापस मिल गए हैं, जिन्होंने अजोवस्टाल स्टील फैक्ट्री में दो हजार सैनिकों और लड़ाकों का नेतृत्व करते हुए रूसी सैनिकों का कई हफ्ते मुकाबला किया था। यह कमांडर तुर्किये को सौंपे गए हैं और युद्ध चलने तक वे वहीं पर रहेंगे। इसी प्रकार से विदेशी लड़ाकों को सऊदी अरब भेजा गया है। यह सात महीने के युद्ध के दौरान बंदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इस अदला-बदली का स्वागत किया है।

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