Republic Day 2025: असम (Assam) में पहली बार गणतंत्र दिवस (Republic Day) डिब्रूगढ़ (Dibrugarh) में मनाया गया, क्योंकि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने पूर्वी असम के डिब्रूगढ़ के खानिकर परेड ग्राउंड (Khanikar Parade Ground) में राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
सीएम ने 26 जनवरी (रविवार) को घोषणा की कि डिब्रूगढ़ के जिला मुख्यालय को अगले तीन वर्षों के भीतर राज्य की दूसरी राजधानी के रूप में विकसित किया जाएगा। सीएम सरमा ने कहा, “असम की दूसरी राजधानी बनने की डिब्रूगढ़ की यात्रा में आज एक महत्वपूर्ण दिन है। पहली बार, इस ऐतिहासिक शहर में राज्य समारोह हो रहा है।”
The successful hosting of #RepublicDayCelebration in Dibrugarh today without any calls for boycott or any untoward incident proves yet again that Assam is now a safe state – for investors, tourists, visitors and its citizens.
Jai Hind 🇮🇳 জয় আই অসম pic.twitter.com/pM71aI42F6
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) January 26, 2025
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डिब्रूगढ़ में बनेगी असम विधानसभा
सीएम ने आगे कहा कि 2027 से असम विधानसभा का एक सत्र हर साल डिब्रूगढ़ में होगा। सरकार ऊपरी असम में ब्रह्मपुत्र के दक्षिणी तट पर इस शहर में असम विधानसभा का एक स्थायी भवन बनाएगी। उन्होंने कहा, “अगले साल 25 जनवरी से असम विधानसभा के स्थायी भवन का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। अगले तीन सालों में डिब्रूगढ़ भारत का एक महत्वपूर्ण शहर बन जाएगा।” “अगले तीन सालों में डिब्रूगढ़ असम की दूसरी राजधानी होगी। हम तेजपुर में एक राजभवन का निर्माण करेंगे और इसे असम की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विकसित करेंगे। सिलचर में एक सचिवालय और मुख्य सचिव का कार्यालय होगा, जिससे बराक घाटी और गुवाहाटी के बीच की खाई को पाटा जा सकेगा।” सरकार की शहरीकरण योजना के तहत आने वाले समय में डिब्रूगढ़ के साथ तेजपुर और सिलचर का भी विकास किया जाएगा, सरमा ने कहा। पिछले साल सरमा ने राज्य की राजधानी के बाहर डिब्रूगढ़ शहर में पहला सीएम सचिवालय खोला था।
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संविधान पर बोले हिमंत सरमा
गणतंत्र दिवस के अवसर पर असम में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह के दौरान मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि भारत का संविधान भाईचारे और करुणा के सिद्धांतों पर आधारित है, जो संकीर्ण सोच से ऊपर है। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 17 एक खुले समाज की नींव है। अंबेडकर की अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई केवल दलितों के लिए नहीं थी, यह भारत की आत्मा थी। इसने भारत की कई पीढ़ियों को प्रेरित किया।” संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है। सरमा ने कहा, “हम भारत को आपातकाल के अंधकार में नहीं ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की यात्रा में भाग लेंगे।”
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