राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा नए साल के आगाज के साथ ही उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी। लेकिन उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने से पहले ही राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने से साफ मना कर दिया है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से उन्हें यात्रा में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया था। जयंत चौधरी ने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देकर यात्रा से किनारा कर लिया है। इस यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी विपक्ष को जोड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन उनका यह प्रयास असफल होता नजर आ रहा है।
तीन जनवरी को उत्तर प्रदेश में करेगी दाखिल
बता दें कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तीन जनवरी को गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर से उत्तर प्रदेश में दाखिल होगी। उत्तर प्रदेश के सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती और आरएलडी नेता जयंत चौधरी को इस यात्रा में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया था। भारत जोड़ा यात्रा का पत्र मिलते ही आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने इस यात्रा में शामिल होने से सीधे इंकार कर दिया है। यह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने से पहले बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।
बसपा-सपा का क्या होगा फैसला?
बसपा और सपा ने कांग्रेस के निमंत्रण पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, बसपा सांसद श्याम सिंह यादव दिल्ली में राहुल की यात्रा में शामिल हुए थे। जौनपुर से बहुजन समाज पार्टी के सांसद श्याम सिंह यादव ने कहा है कि दिल्ली में भारत जोड़ो यात्रा में वह व्यक्तिगत स्तर पर इस यात्रा का हिस्सा बने थे, लेकिन राहुल गांधी की यात्रा में बसपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वहीं समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है। अब इस पर दोनों पार्टियां क्या निर्णय लेंगी यह महत्वपूर्ण होगा। हालांकि, आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी का सीधा इनकार करना राहुल की विपक्ष जोड़ो यात्रा को तगड़ा झटका बताया जा रहा है।
अपनी नहीं तो कार्यकर्ताओं की चिंता करो
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह से लगे हुए हैं, उससे ऐसा लगता है कि उन्हें किसी अन्य बात की फिक्र ही नहीं है। देश में कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की ओर से राहुल को पत्र भेजकर यात्रा स्थगित करने की अपील की गई थी, लेकिन राहुल गांधी हैं कि किसी की बात मानने को तैयार ही नहीं हैं। राहुल गांधी को अपनी नहीं तो कम से कम अपने कार्यकर्ताओं की तो चिंता करनी चाहिए।