दुनिया को ज्ञान देने के लिए स्वतंत्र हुआ भारत: मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बेंगलुरु में झंडा फहराने के बाद अपने संबोधन में कहा कि पूरी दुनिया को प्रकाशित करने के लिए भारत स्वतंत्र हुआ।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत (Chief Dr. Mohan Bhagwat) ने मंगलवार को कहा कि सम्पूर्ण दुनिया को प्रकाश देने के लिए भारत (India) को सामर्थ्य सम्पन्न होना होगा। भारत सामर्थ्य सम्पन्न न हो, इसके लिए कार्यरत शक्तियों के प्रति हमको सावधान भी होना होगा। हम अपने इस स्वत्व के आधार पर हमारा राष्ट्रध्वज (National Flag) किन बातों का दिग्दर्शन करता है, इसको समझकर कार्यरत रहें और सम्पूर्ण देश को एक बनाएं।

देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर बेंगलुरु के वासावी कन्वेंशन हॉल में समर्थ भारत द्वारा आयोजित समारोह में डॉ. भागवत ने ध्वजारोहण किया। उसके बाद राष्ट्रगान का गान किया। उन्होंने समारोह में उपस्थित कार्यकर्ताओं और नागरिकों को संबोधित भी किया। कार्यक्रम में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भी मौजूद रहे। अपने संबोधन में डॉ. भागवत ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं।

डॉ. भागवत ने कहा कि ज्ञान, कर्म, भक्ति, निर्मलता और समृद्धि के आधार पर सारे विश्व को जीवन जीने की सीख दें। अपने स्व के आधार पर तंत्र बनाते हुए हमें आगे बढ़ना पड़ेगा। 15 अगस्त 1947 में मिली स्वतंत्रता के बाद देश को आगे ले जाने की एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया शुरू हुई। उस प्रक्रिया को हमको आगे बढ़ाना है। इसका आज हम संकल्प लें।

संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने कहा, “हम गुरुपद मांगेंगे नहीं, दुनिया कहेगी भारत हमारा गुरु है।” उन्होंने कहा कि यहां हमने ध्वजारोहण किया। भारत माता का पूजन किया। सूर्य भगवान की आराधना आप लोग कर रहे हैं, सूर्य नमस्कार के द्वारा। यह अत्यंत समीचीन बात है। हम तेज की उपासना करने वाले लोग हैं इसलिए भारत है, जो ‘भा’ यानी प्रकाश अर्थात जो प्रकाश में रत रहता है वो भारत है। प्रकाश का जो उद्गम है। हमारे विश्व के लिए वो हमारा सूर्य है उस आदित्य की आराधना स्वतंत्रता दिवस पर करना ये अत्यंत औचित्यपूर्ण कार्य है। आपने किया और कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण विश्व को प्रकाश देने के लिए भारत स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्र होना, वो जो स्व है, वो यही है- एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:। आज विश्व को इसकी आवश्यकता है, हमको इसके लिए तैयार होना है। तैयार होने के लिए क्या करना है?

डॉ. भागवत ने कहा, “हमें अपने राष्ट्रध्वज के स्वरूप का चिंतन करना है। ये करना है तो हमें ज्ञान की, प्रकाश की आराधना करनी पड़ेगी, तमसो मा ज्योतिर्गमय। इस दिशा में अपने जीवन को अग्रसर करना पड़ेगा और त्याग करना पड़ेगा, निरंतर कर्मशील रहना पड़ेगा इसलिए हमारे ध्वज के शीर्ष स्थान पर ये कसरिया, भगवा, गेरुआ रंग है। ये इन बातों का प्रतीक है। तिरंगे के शीर्ष स्थान पर केसरिया-भगवा रंग हमें त्याग और कर्मशील होने का संदेश देता है। मन के सारे विकारों, स्वार्थ और भेदों को मिटाकर सबके लिए करना, उस निर्बल सुचितापूर्ण मन का प्रतीक सफेद रंग है, वह अपने ध्वज के मध्य में है।

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