रूस और यूक्रेन के बीच तनातनी बढ़ गई है। इस पृष्ठभूमि में अमेरिका ने अपने नागरिकों को रूस की यात्रा न करने की सलाह दी है। रूस ने यूक्रेन की सीमा पर 10 लाख से अधिक सैनिक तैनात किए हैं। इससे समझा जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष अटल है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि रूस यूक्रेन के एक अन्य हिस्सा क्रीमिया पर पूरी तरह कब्जा करने की कोशिश कर सकता है।
अमेरिका के इस रुख से मिल रहे संकेत
-इस बीच अमेरिका ने अपने नागरिकों को यूक्रेन के साथ तनाव के कारण अभी रूस की यात्रा नहीं करने की चेतावनी दी है। अमेरिका ने एक बयान में कहा है कि रूस जाने पर उसके नागरिकों को बहुत नुकसान होगा और दूतावास के लिए उन तक पहुंचना मुश्किल होगा।
-इसके साथ ही यूक्रेन की राजधानी में अमेरिकी राजदूतों के परिवारों को तुरंत देश छोड़ने को कहा गया है। यह आदेश युद्ध की आशंका को देखते हुए दिया गया है।
रूस की तैयारी
रूस ने सीमा पर न केवल सैनिक बल्कि टैंक, लड़ाकू वाहन, तोपखाने और मिसाइल भी तैनात किए हैं। रूस को पीछे हटने के लिए मनाने के लिए बार-बार प्रयास किए गए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
चर्चा में नहीं बनी बात
रूस ने हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता से बार-बार इनकार किया है। लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भाषा बहुत संयम वाली नहीं है। यह मुद्दा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पुतिन के बीच लगातार चर्चा का विषय रहा है, जिसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। बाइडेन के अनुसार रूस यूक्रेन पर आक्रमण नहीं करेगा, लेकिन कुछ क्षेत्रों में हमला कर सकता है।
रूस आक्रामक क्यों है?
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में यूक्रेन के शामिल किए जाने की संभावान से रूस भड़का उठा है। नाटो में यूक्रेन का प्रवेश सीधे रूस को प्रभावित कर सकता है। रूस के नेताओं और विशेष रूप से पुतिन को लगता है कि अमेरिका ने नाटो में पोलैंड, लिथुआनिया, एस्टोनिया और लातविया को शामिल करके रूस को परेशान करने का काम किया है।
रूसी सैनिक कहाँ हैं?
रूस की सेना और युद्ध के टैंक तथा वाहन वर्तमान में येलन्या, क्लिमोवो, क्लिंटसे, पोगोनोवो, सोलोटी के सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में तैनात हैं। क्रीमिया पहले यूक्रेन का हिस्सा था, लेकिन अब रूस के कब्जे में है। पिछले आठ वर्षों से रूसी सेना ने उस पर कब्जा कर रखा है। इसके अलावा, दक्षिणपूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क प्रांतों के बड़े क्षेत्रों पर रूसी विद्रोहियों का कब्जा है। कुछ और रूसी सैनिक सैन्य अभ्यास के लिए बेलारूस पहुंच रहे हैं। यूक्रेन के उत्तर में स्थित इस देश को रूस का दोस्त माना जाता है। रणनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि रूस फरवरी में यूक्रेन पर हमला कर सकता है।
नाटो विस्तार को लेकर रूस इतना संवेदनशील क्यों है?
नाटो एक सैन्य सहयोग संगठन है। इस संगठन में शामिल सदस्य देशों में से किसी एक पर हमले को पूरे संगठन पर हमला माना जाता है। 1997 से अब तक 14 पूर्वी यूरोपीय देश संगठन में शामिल हुए हैं। इन देशों को अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी जैसी प्रमुख पश्चिमी शक्तियों के साथ-साथ नाटो सैनिकों और मिसाइलों से हथियारों की आपूर्ति की जाती है। इन 14 देशों में पोलैंड, लिथुआनिया, एस्टोनिया और लातविया भी शामिल हो गए हैं। लिथुआनिया, एस्टोनिया और लातविया पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा थे। इसलिए रूसी नेतृत्व हमेशा पोलैंड के प्रति संवेदनशील रहा है।