Sambhal Violence: इंडी की चिंदी, राजनीति स्वार्थ सर्वोपरि

उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को एक सीट भी ना देकर कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में जमीनी हकीकत दिखा दी थी ‌और अब संभल के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ‌

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Sambhal Violence: इंडी गठबंधन (Indi alliance) में सहयोगी दलों के मतभेद (differences among allies) खुलकर सामने आ गए हैं। लोकसभा (Lok Sabha) में प्रतिपक्ष के नेता (Leader of Opposition) राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के सामने इंडी गठबंधन ने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

इस कारण ‌हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव (Haryana and Maharashtra elections) में मिली करारी हार के बाद इंडी गठबंधन लड़खड़ाने लगा है।

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संभल पर सपा का किनारा
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को एक सीट भी ना देकर कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में जमीनी हकीकत दिखा दी थी ‌और अब संभल के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ‌समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव का कहना है कि कांग्रेस संसद में संभल का मुद्दा नहीं उठा रही है लेकिन राहुल गांधी संभल जा रहे हैं। अब क्या कहें? रामगोपाल यादव की नजर में कांग्रेस की तरफ से संभल के मुद्दे पर सिर्फ रस्म अदायगी की जा रही है। समाजवादी पार्टी को राहुल गांधी के संभल जाने पर आपत्ति है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी संभल जाकर हिंसा में मारे गए लोगों के परिवार वालों से मुलाकात करना चाहते थे ।लेकिन उनका काफिला पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर ही रोक दिया। ‌ राहुल गांधी ने किसी को बिना विश्वास में लिए ही हाथरस और लखीमपुर खीरी के लिए जैसे प्रोग्राम बनाया था, वैसा बना डाला था।

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अडानी मुद्दे पर टीएमसी ने बनाई दूरी
अडानी ग्रुप के कारोबार की जांच का मुद्दा इंडी गठबंधन के लिए अब परेशानी का कारण बनता जा रहा है। राहुल गांधी जिस तरीके से संसद में और संसद के बाहर इस मुद्दे को उठा रहे हैं, उससे तृणमूल कांग्रेस नाराज है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 25-27 नवंबर को इंडी गठबंधन की बैठक बुलाई थी। लेकिन तृणमूल कांग्रेस का कोई भी नेता इसमें शामिल नहीं हुआ और यह सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है। 4 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस की ओर से अडानी का मुद्दा उठाया गया। उसके बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन से वाकआउट किया। अडानी के मुद्दे पर कांग्रेस के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन भी हुआ लेकिन ना तो तृणमूल कांग्रेस के सांसद नजर आए और ना ही समाजवादी पार्टी के सांसद ही दिखे।

लोकसभा चुनाव दिल्ली में साथ लड़ने वाले केजरीवाल और राहुल गांधी अब एक दूसरे को हराना चाहते हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों दल आमने-सामने होंगे। इस स्थिति में इंडी का खोखलापन और दोगलापन दोनों साफ नजर आने लगा है। इन दो दोस्तों की लड़ाई का लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलने की पूरी संभावना है।

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यूबीटी का भी मोहभंग
उद्धव ठाकरे के तेवर भी राहुल गांधी के प्रति बदले हुए नजर आने लगे हैं। अब एक बार फिर उसे हिंदुत्व प्यारा नजर आ रहा है। मुंबई महानगपालिका में शिवसेना इसे मुद्दा बनाकर अकेले मैदान में उतर सकती है। कहना न होगा कि अब उद्धव ठाकरे का भी कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है। लेकिन सच तो यह है कि क्या जनता उसके इस बदले हुए रूप को समर्थन करेगी।

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सामना की सलाह
‌ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मुख पत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस से दूरी बनाकर राजनीति करने की कोशिश कर रही है। अब अरविंद केजरीवाल भी उसी रास्ते पर जा रहे हैं। उद्धव ठाकरे का कहना है कि आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल को इंडी गठबंधन का हिस्सा बनाए रखने के लिए उसे मनाने की जरूरत है।

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