Sandeshkhali Case: संदेशखाली पहुंचा मानवाधिकार आयोग, सुनी लोगों की शिकायतें

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम संदेशखाली के कुछ इलाकों में गई और ग्रामीणों से बात कर उनके बयान दर्ज किए। मानवाधिकार आयोग की टीम नाव से कालागाछी नदी पार करने के बाद धमाखाली नौका घाट से होते हुए संदेशखाली पहुंची। एनएचआरसी ने मीडिया में आईं उन खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिनमें कहा गया है कि संदेशखाली में गरीब महिलाओं को परेशान किया गया और उनका यौन उत्पीड़न किया गया।

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Sandeshkhali Case: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) (एनएचआरसी) की टीम 23 फरवरी (शुक्रवार) को पश्चिम बंगाल (West Bengal) के संदेशखाली (Sandeshkhali) पहुंच कर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (women sexual harassment) के आरोपों के बारे में ग्रामीणों से बात की। उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में तृणमूल नेता शाहजहां शेख (Shahjahan Sheikh) और उसके समर्थकों पर जमीन हड़पने एवं महिलाओं के यौन उत्पीड़न का आरोप है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम संदेशखाली के कुछ इलाकों में गई और ग्रामीणों से बात कर उनके बयान दर्ज किए। मानवाधिकार आयोग की टीम नाव से कालागाछी नदी पार करने के बाद धमाखाली नौका घाट से होते हुए संदेशखाली पहुंची। एनएचआरसी ने मीडिया में आईं उन खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिनमें कहा गया है कि संदेशखाली में गरीब महिलाओं को परेशान किया गया और उनका यौन उत्पीड़न किया गया।

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पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी
एनएचआरसी की ओर से बताया गया है कि उसने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर संदेशखाली में हुई हिंसा के संबंध में चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इससे पहले कल राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes) (एनसीएसटी) की टीम ने 22 फरवरी (गुरुवार) सुबह उत्तर 24 परगना (North 24 Parganas) स्थित संदेशखाली (Sandeshkhali) में महिलाओं की शिकायतें सुनी। इस दौरान स्थानीय लोगों से जमीन पर जबरन कब्जा करने और उत्पीड़न की कुल 23 शिकायतें मिली हैं।

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तत्काल सुनवाई करने से इनकार
इस बीच, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से जुड़े व्यक्तियों द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बीच, उच्च न्यायालय ने संदेशखाली क्षेत्र की महिला निवासियों के लिए सुरक्षा का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश टी.एस. की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शिवगणम ने सवाल किया कि क्या याचिकाकर्ता विधायक या पंचायत प्रधान जैसे निर्वाचित पद पर थे, या क्या वे संदेशखाली के निवासी थे, या उन्होंने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था। मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि याचिका के साथ केवल समाचार पत्रों की रिपोर्टों की प्रतियां संलग्न करना पर्याप्त नहीं होगा। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के वकील को सूचित किया कि सुनवाई के लिए विचार करने से पहले जनहित याचिका की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली की महिला ग्रामीणों के लिए सुरक्षा की मांग करने वाली उनकी जनहित याचिका (पीआईएल) पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।

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