राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरा समारोह में चीन केो लेकर अपनाई गई मोदी सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए पीएम मोदी की पीठ थपथपाई। इसके साथ ही उन्होंने चीन के दोगले रवैये से भी देश को आगाह कराया। उन्होंने कहा,’भारत के लोगों के एकजुट होने से चीन को पहली बार हमारी ताकत का अहसास हुआ होगा। उसे अब समझ जाना चाहिए। चीन की तरह का ख्याल, जो भी देश मन में रखते हैं, उनको समझ जाना चाहिए कि हम इतने कच्चे नहीं हैं। ऐसी स्थिति कभी भी आएगी तो हमारी तैयारी, दृढ़ता और सजगता कम नहीं है।’ रविवार को वे संघ के स्थापना दिवस पर स्वयंसेवकों के साथ-साथ पूरे देश को संबोधित कर रहे थे।
विजयादशमी उत्सव (रविवार दि. 25 अक्तूबर 2020) के अवसर पर प. पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत का उद्बोधनhttps://t.co/WtTY7AQlOb
— RSS (@RSSorg) October 25, 2020
भाषण के महत्वपूर्ण बातेंः
- हम सभी देशों से मित्रता चाहते हैं। यह महारा स्वाभाव है, परंतु कोई हमारी सद्भावना को दुर्बलता मनाने की हिम्मत न करे। अपनी शक्ति प्रदर्शन से भारत को कोई नचा या झुका नहीं चाहता।
- हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अद्भुत वीरता, हमारी सरकार की स्वाभिमानी रवैया तथा देश के लोगों का धैर्य चीन को पहली बार मिला, उसके ध्यान में यह बात आ जानी चाहिए कि भारत पहलेवाला नहीं है।
- कोरोना वायरस के संदर्भ में चीन की भूमिका तो संदिग्ध रही है, लेकिन जिस तरह से भारत की सीमाओं पर उसने अतिक्रमण का प्रयास किया,वह पूरी दुनिया देख रही है। उससे हमें सजग रहना होगा।
- हमें अपनी सीमा की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक एवं सामरिक क्षेत्र में भी ताकत बढ़ानी होगी।
- नागरिकता संशोधन कानून को आधार बनाकर समाज में विद्वेश व हिंसा फैलाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। इस कानून को संसद में पूरी प्रक्रिया से पास किया गया है। इस षड्यंत्र में शामिल लोग मुसलमान भाइयों के मन में यह बैठाने का प्रयास कर रहे हैं कि अब वे भारत में नहीं रह पाएंगे।
- नागरिका संशोधन कानून में किसी संप्रदाय का विरोध नहीं है। इसको लेकर कोरोना संक्रमण से पहले कई जगहों पर हिंसात्मक आंदोल किए गए। हालांकि कोरोना के कारण यह बात दब गई।
- श्री रामजन्म भूमि पर सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय देकर इतिहास रचा। मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को भूमि पूजन भी हो गया। उस दिन पूरे देश में हर्षोल्लास का वातावरण था।
- देश में भी कुछ ऐसी ताकतें हैं, जो समाज में वैमनस्य पैदा करते हुए भारत को दुर्बल या खंडित बनाकर रखना चाहते हैं।
- जो सत्ता से बेदखल हो चुके हैं, उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता प्राप्त करने का अधिकार है, परंतु उन्हें विवेक का पालन करना चाहिए।
- राजनीति में चलनेवाली स्पर्धा शत्रुओं से चलनेवाला युद्ध नहीं है। उसके कारण समाज में कटुता, भेद और दूरियां, आपस में शत्रुता खड़ी नहीं होनी चाहिए। लेकिन इस स्पर्धा का लाभ लेनेवाली व भारत को खंडित व दुर्बल करने वाली ताकतें समाज में आपस में वैमनस्य पैदा करना चाहती हैं।
- कोरोना के कारण सांस्कृतिक रीति रिवाज का महत्व, स्वच्छता की महत्ता, प्राचीन पद्धति, कुटुंब व्यवस्था में परिवर्तन दिखने लगा है। यह देखनेवाली बात होगी कि क्या हम फिर से उसी रास्ते पर चलने लगेंगे।