सांगली जिले की सिराला सेशन कोर्ट ने शनिवार को मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे को निर्दोष बरी करने की याचिका को खारिज कर दिया है। यह राज ठाकरे के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
जानकारी के अनुसार जिले के शिराला में स्थित शेंगेवाड़ी में मनसे कार्यकर्ताओं ने 2008 में परप्रांतीयों के विरुद्ध आंदोलन किया था। इस आंदोलन में मनसे कार्यकर्ताओं ने परप्रांतीयों की पिटाई की थी और सरकारी तथा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। इसके बाद शिराला पुलिस स्टेशन की टीम ने राज ठाकरे के साथ मनसे जिला अध्यक्ष तानाजी सावंत, मनसे नेता शिरीष पारकर और मनसे के अधिकारियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
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इस मामले की सुनवाई शिराला कोर्ट में चल रही है। राज ठाकरे सुनवाई की तारीख पर अक्सर अनुपस्थित रहते हैं, इसलिए शिराला कोर्ट ने राज ठाकरे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था लेकिन राज ठाकरे के वकील ने इस्लामपुर कोर्ट में जाकर इस गिरफ्तारी के वारंट को निरस्त करवा लिया था। इसके बाद राज ठाकरे के वकील ने शिराला कोर्ट में राज ठाकरे को अपराध से बरी करने के लिए याचिका दाखिल की थी। राज ठाकरे के वकील ने अपनी दलील में कहा कि आवेदक आंदोलन में शामिल नहीं थे, इसलिए उन्हें इस मामले में निर्दोष बरी कर दिया जाना चाहिए। इसके बाद सरकारी वकील संदीप पाटिल ने बताया कि राज ठाकरे के कहने पर ही आंदोलन हुआ था और परप्रांतीयों की पिटाई की गई थी, इसलिए राज ठाकरे का इस मामले में सीधा संबंध है और वहीं मुख्य आरोपित हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद राज ठाकरे की याचिका को खारिज कर दिया।
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