महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष: उस समय उद्धव ठाकरे ने नैतिकता कहां छुपा रखी थी?

महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना युति की सरकार पर ठप्पा लग गया है। दोनों ही दलों के नेताओं ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर तीक्ष्ण प्रहार किया।

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महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष
सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना को लेकर चल रहे प्रकरण पर निर्णय सुना दिया

महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष पर सर्वोच्च निर्णय आ चुका है, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री पद एकनाथ शिंदे के पास ही रहेगा। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस वार्ता में न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए, उद्धव ठाकरे से नैतिकता की बात न करने की बात कही है। उपमुख्यमंत्री ने प्रश्न किया है कि, भाजपा के साथ चुनाव लड़कर कांग्रेस राष्ट्रवादी के साथ सरकार बनानेवाले उद्धव ठाकरे ने नैतिकता उस समय कहां छुपा रखी थी?

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही: देवेंद्र फडणवीस 
महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष पर निर्णय के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ने महाविकास आघाड़ी (मविआ) के मनसूबे पर पानी फेरा दिया है। इसके बाद मविआ उद्धव ठाकरे को फिर मुख्यमंत्री नहीं बना पाएंगे। इस प्रकरण में स्टेटस को एन्टेल नहीं किया जा सकता, उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री फिर नहीं बनाया जा सकता। इसी प्रकार अपात्रता की याचिका का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास है, इसमें कोई विपरीत परिस्थिति नहीं, न्यायालय ने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप नहीं किया है। इसी प्रकार अपात्रता की कार्यवाही के अंतर्गत जिन विधायकों का नाम है उनके पूर्ण अधिकार उनके पास हैं। अपात्रता की याचिका का विधायकों के जनप्रतिनिधि के रूप में प्रदत्त अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दल और चुनाव चिन्ह पर निर्णय लेने का आधिकार चुनाव आयोग और विधानसभा अध्यक्ष के पास है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर कहा है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकता है। दसवीं सूची के अनुसार राजनीतिक दल कौन सा है इसका अधिकार विधान सभा अध्यक्ष के पास। राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिए एकनाथ शिंदे को न्यौता देना योग्य था। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे से सवाल किया कि, भारतीय जनता पार्टी से चुनकर आए और राकांपा कांग्रेस के साथ गए तब नैतिकता कहां छुपा दी थी। एकनाथ शिंदे सत्ता में थे इसके बाद भी नैतिकता के आधार पर विपक्ष (भाजपा) के साथ आए, इसलिए उद्धव ठाकरे जी नैतिकता का मुद्दा मत उठाइए। एकनाथ शिंदे के त्यागपत्र देने का मुद्दा ही नहीं बनता।

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व्हिप लागू करने के लिए कितने लोग हैं? मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि, सरकार को असंवैधानिक कहनेवालों को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ने कालबाह्य कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से सत्य की विजय हुई है। लोकतंत्र में बहुमत को महत्व है, देश में संविधान है, कानून है उसके बाहर कोई नहीं जा सकता। हमने सरकार पूर्णरूप से कानूनी दायरे में रहकर स्थापन की है। अपात्रता का अधिकार अध्यक्ष का होता है, सर्वोच्च न्यायालय ने उसे कायम रखा है। चुनाव आयोग के पास अधिकार है और चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी के रूप में हमारे गुट को मान्यता दी, पार्टी का चुनाव चिन्ह हमें दिया है। भाजपा के साथ सत्ता स्थापन के निर्णय को लेते हुए हमने बालासाहेब के विचार और जनभावना का आदर किया। उद्धव ठाकरे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, भाजपा के साथ चुनाव लड़े और विपक्षी लोगों के साथ मिल गए, नैतिकता का अधिकार आपके पास नहीं है। बालासाहेब के विचारों को कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस से बचाने का काम हमने किया। जबकि, शिवसेना के व्हिप लागू होने पर कहा है किष तुम्हारे पास व्हिप लागू करने के लिए कितने लोग हैं?

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