SOUL: देश की प्रगति के लिए जरुरी है प्राकृतिक संसाधन के साथ मानव संसाधन, प्रधानमंत्री मोदी ने दिया इस प्रदेश का उदाहरण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 फरवरी को गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी देश की प्रगति में केवल प्राकृतिक संसाधन ही नहीं बल्कि मानव संसाधन भी अहम भूमिका निभाते हैं।

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SOUL: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 फरवरी को गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी देश की प्रगति में केवल प्राकृतिक संसाधन ही नहीं बल्कि मानव संसाधन भी अहम भूमिका निभाते हैं। गुजरात के पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है, फिर भी आज नेतृत्व की शक्ति को देखें- गुजरात में सबकुछ है।

प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप (एसओयूएल) लीडरशिप कॉन्क्लेव 2025 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सभी बड़े नेताओं और उभरते युवा नेताओं का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए प्रत्येक क्षेत्र में अच्छे नेताओं को तैयार करना आवश्यक है और यह समय की मांग है। उन्होंने कहा कि स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप विकसित भारत की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।

एसओयूएल आध्यात्मिक अनुभव के सार को भी खूबसूरती से दर्शाता है
उन्होंने कहा कि एसओयूएल सिर्फ संगठन का नाम नहीं है, बल्कि एसओयूएल भारत के सामाजिक जीवन की आत्मा होगी। दूसरे अर्थों में, एसओयूएल आध्यात्मिक अनुभव के सार को भी खूबसूरती से दर्शाता है। एसओयूएल के सभी हितधारकों को शुभकामनाएं देते हुए मोदी ने घोषणा की कि निकट भविष्य में गुजरात की गिफ्ट सिटी के निकट एसओयूएल का एक नया, विशाल परिसर बनकर तैयार हो जाएगा।

मानव और प्राकृतिक संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका
प्रधानमंत्री ने किसी भी राष्ट्र की प्रगति में मानव और प्राकृतिक संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। साथ ही स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि दूरदर्शी नेता हमेशा भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करना चाहते थे और केवल 100 प्रभावी और कुशल नेताओं की मदद से इसे बदलना चाहते थे। देश को उसी जोश के साथ आगे बढ़ना होगा। यह देखते हुए कि प्रत्येक नागरिक 21वीं सदी के विकसित भारत के सपनों को सच करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है।

उन्होंने 140 करोड़ की आबादी वाले देश में सभी क्षेत्रों में अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप ऐसे नेताओं को तैयार करेगा जो राजनीति के क्षेत्र सहित पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में ऐसे संसाधनों की आवश्यकता है जो नवाचार का नेतृत्व करने और कौशल को दिशा देने में सक्षम हों। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कौशल के बढ़ते महत्व की ओर इशारा किया। मोदी ने नए कौशल को अपनाने के लिए नेतृत्व विकास की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इसे वैज्ञानिक और संरचित दृष्टिकोण के माध्यम से आगे बढ़ाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस प्रक्रिया में एसओयूएल जैसे संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया और उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि संस्था ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है।” उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में गति बढ़ाने के लिए विश्व स्तरीय नेताओं और अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व की आवश्यकता है। ‘सोल’ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान न केवल विकल्प हैं, बल्कि आवश्यकता भी हैं।

शासन और नीति-निर्माण को विश्वस्तरीय बनाने की आवश्यकता
शासन और नीति-निर्माण को विश्वस्तरीय बनाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह तब हासिल किया जा सकता है जब नीति निर्माता, नौकरशाह और उद्यमी वैश्विक सर्वोत्तम तौर-तरीकों को शामिल करते हुए नीतियां बनाएं। उन्होंने इस सम्बंध में एसओयूएल जैसी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

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इस कार्यक्रम में भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे, एसओयूएल बोर्ड के अध्यक्ष सुधीर मेहता और उपाध्यक्ष हसमुख अधिया अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ उपस्थित थे। इन गणमान्य लोगों ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत किए। मोदी ने भूटान के प्रधानमंत्री को भूटान नरेश के जन्मदिवस के दिन इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद दिया।

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