राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बगल वाली सीट पार्थ चटर्जी के पास थी। लेकिन सितंबर के लघु सत्र में उस सीट पर किसी को बैठने नहीं दिया जाएगा। ताजा कैबिनेट फेरबदल के बाद विधानसभा में विधायकों के बैठने की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। उस प्रक्रिया में मुख्यमंत्री के बगल की सीट किसी को आवंटित नहीं की गई थी।
इससे पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि यह सीट मंत्री फिरहाद हकीम को दी जा सकती है। लेकिन 1 सितंबर तक सीट किसी को नहीं दी गई। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में इसे किसी को दिया जाएगा या नहीं। विधानसभा के एक सूत्र ने बताया कि परिषदीय मंत्री के तौर पर पार्थ को मुख्यमंत्री के बगल वाली सीट मिली थी। लेकिन पार्थ को सभी मंत्रालयों से हटा दिया गया है। शोभनदेव चटर्जी को उनके परिषद कार्यालय की जिम्मेदारी मिली है। इसलिए ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें वह सीट मिल सकती है।
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आने वाले दिनों में किसी को सीट दी जाएगी या नहीं, इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। विधानसभा के एक अधिकारी के मुताबिक आमतौर पर राज्य विधानसभा में तीनों मुख्यमंत्री, डेप्युटी स्पीकर और मुख्य सचेतक के बगल की सीट किसी को नहीं दी जाती है। ऐसे में पार्थ की गिरफ्तारी के बाद से मुख्यमंत्री के बगल की सीट खाली है।
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