महाराष्ट्र की राजनीति की दो धुरी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है। यह नोटिस ऐसे समय में पहुंचा है जब संसद में सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी जारी है और महाराष्ट्र की राज्य सरकार कई मामलों में भाजपा के निशाने पर है। दोनों को यह नोटिस बीते चुनाव में दिए गए प्रतिज्ञा पत्र को लेकर भेजा गया है। जिन नेताओं को आयकर विभाग का नोटिस मिला है उसमें ठाकरे और पवार के साथ ही आदित्य ठाकरे, पवार की बेटी सुप्रिया सुले भी शामिल हैं।
हमसे अधिक प्रेम है इसलिए नोटिस मिल रहा है
शरद पवार ने बताया कि मुझे कल आयकर विभाग का नोटिस मिला है। सुप्रिया को भी आज या कल नोटिस मिल जाएगा, अच्छी बात है कि सभी संसद सदस्यों में से हमें ही नोटिस मिल रहा है और हमें ही चुना जा रहा है, कुछ लोगों को हमसे अधिक प्रेम है इसलिए नोटिस मिल रहा है।
गौरतलब है कि कृषि बिल के मुद्दे पर जहां राकांपा ने विपक्ष का समर्थन किया है वहीं कंगना, सुशांत सिंह राजपूत मामले और कोरोना को लेकर सरकारी बदइंतजामियों के चलते शिवसेना सरकार भाजपा के निशाने पर है।
क्या है मामला
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दल शिवसेना और उनकी सहयोगी पार्टी राकांपा के इन नेताओं पर आरोप है कि इन लोगों ने चुनाव के समय चुनाव आयोग को जो हलफनामा दिया है उसमें कई जानकारी गलत भरी है और कई अधूरी जानकारी दी गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ताओं ने अपने दावे के समर्थन में कुछ दस्तावेज भी सौंपे हैं, जिससे पता चलता है कि इन नेताओं ने हलफनामे में गलत जानकारी दी गई है। इन दस्तावेजों को देखने के बाद ही चुनाव आयोग ने इसकी जांच सीबीडीटी के पास भेजी है।
आरोप सही तो नप सकते हैं नेता जी
चुनाव आयोग अब सीबीडीटी की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। ऐसे में अगर इन नेताओं पर लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं तो रिप्रजेटेंशन ऑफ पीपल एक्ट की धारा 125-ए के तहत सीबीडीटी इस मामले में केस दर्ज कर सकती है। इस सेक्शन के तहत अधिकतम 6 महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है।
चुनाव से पहले उम्मीदवार को चुनाव आयोग के सामने अपनी सभी तरह की जानकारी देनी होती है। इसमें आपराधिक पृष्ठभूमि, संपत्ति, देनदारी और शैक्षिक योग्यता का ब्योरा सबसे अहम है। साल 2013 में चुनाव आयोग ने तय किया था कि हर उम्मीदवार की ओर से दी गई लिखित जानकारी की जांच सीबीडीटी को करनी होगी।