दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के अध्यक्ष और अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए हैं। इसके पहले सिरसा ने गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी से इस्तीफा दे दिया था। सिरसा दिल्ली के गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के अध्यक्ष रहे हैं, जहां के गुरुद्वारों में प्रधानमंत्री पिछले दो वर्षों में लगातार मत्था टेकने जाते रहे हैं। इससे कयास लगने लगे हैं कि सिरसा के दल बदल के पीछे प्रधानमंत्री से मुलाकातों का गणित तो काम नहीं कर गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दो वर्षों में कभी रकबगंज गुरुद्वारा तो कभी शीशगंज गुरुद्वारा जाते रहे हैं। प्रधानमंत्री गुरुओं के प्रकाश परब के अवसर पर बिना किसी सुरक्षा तामझाम के मत्था टेकने जाते थे। इन गुरुद्वारों का मैनेजमेंट, दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के माध्यम से होता है, जिसके अध्यक्ष थे मनजिंदर सिंह सिरसा। सिरसा अकाली दल से भी जुड़े रहे हैं, जिसे छोड़कर सिरसा ने अब भाजपा में प्रवेश कर लिया है।
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Former SAD leader Shri @mssirsa called on BJP National President Shri @JPNadda after joining BJP at party headquarters in New Delhi. pic.twitter.com/GQ4kAWdjcJ
— BJP (@BJP4India) December 1, 2021
नए दल और दलों के बल
⇒ पंजाब में चुनाव होने हैं, इसके पहले राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है। कांग्रेस की कलह से पार्टी दो धड़े में बंट गई थी, जिसमें अब कैप्टन अमरिंदर सिंह अलग होकर अपनी पार्टी के गठन की घोषणा कर चुके हैं। इसके बाद भी कलह शांत नहीं हुई और अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की टेंशन बढ़ा रहे हैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू। इस बीच कांग्रेस छोड़नेवालों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। जलालाबाद के हिंदू नेता अनीश सिडाना कांग्रेस छोड़कर अकाली दल के साथ हो गए।
⇒ आम आदमी पार्टी अभी हल्की-फुल्की सुगबुगाहट में सिमटी हुई है, पार्टी का कोई प्रभावशाली चेहरा राज्य में नहीं बन पाया है। इसके कारण इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनावों जैसा रहेगा, यह कहना कठिन है।
⇒ अकाली दल चुनाव के लिए कमर कस रहा है। लेकिन दिल्ली से पार्टी में पहली सेंध लग गई है। अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। वे एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं। सिख समुदाय में उनका एक प्रतिष्ठित स्थान रहा है।
⇒ भारतीय जनता पार्टी तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर किसान यूनियन द्वारा फैलाए गए विरोध को ठंडा करने की कोशिश कर रही है। इस कार्य में कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ मिल गया तो राज्य में एक नया राजनीतिक समीकरण जुड़ सकता है। पार्टी को आशा है कि प्रधानमंत्री की भक्ति और सिखों के धार्मिक नेता की शक्ति कुछ काम कर जाएगी।
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