महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार द्वारा विधान परिषद के 12 सदस्यों की सूची राज्यपाल को सौंपे 8 महीने हो चुके हैं। लेकिन राज्यपाल ने अभी तक उस पर अपनी मुहर नहीं लगाई है। इसे लेकर शिवसेना के मुखपत्र सामना में उनकी तीखी आलोचना करते हुए लिखा गया है कि आखिर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी इस बारे में अपना निर्णय कब तक जाहिर करेंगे?
राज्यपाल की आलोचना
इस अग्रलेख का शीर्षक’राज्यपाल महोदय, आठवां महिना पूरा हो गया। अग्रलेख में आगे लिखा गयाहै कि 80 साल की उम्र में उनके सिंहगढ़ दौरे की तारीफ कौन नहीं करेगा? लेकिन वे लोकतंत्र और संविधानैनिक नियमो को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। वे हर जगह मजाक का पात्र बन गए हैं। उन्होंने पद का अवमूल्यन कर दिया है। राजभवन के घटनाक्रम से जनता और सरकार अब कुछ परेशान है। राज्यपाल के रूप में भगत सिंह कोश्यारी का व्यवहार असंवैधानिक और राजनीतिक रूप से पक्षपाती है।
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पीएम से हस्तक्षेप की मांग
अग्रलेख में लिखा गया है कि दि राज्यपाल भारतीय जनता पार्टी के दबाव में काम कर रहे हैं तो प्रधानमंत्री मोदी को लोकतंत्र के इस पतन को रोकना चाहिए। राजभवन का इस्तेमाल कर सरकार नहीं बदली जा सकती और न ही अफगानिस्तान के अब्दुल गनी की तरह कोई आत्मसमर्पण करने वाला है।
भाजपा की आलोचना!
अग्रलेख में भाजपा की भी आलोचना करते हुए लिखा गया है,’भाजपा और राज्यपाल 12 विधायकों की नियुक्ति में देरी कर खुद मजाक बन रहे हैं। लोगों के मन में उनका सम्मान खत्म हो गया है। अब न्यायालय और शरद पवार जैसे बड़े नेता भी उसकी आलोचना कर रहे हैं। अग्रलेख में कहा गया है, “महाराष्ट्र के लिए भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ व्यक्तिगत द्वेष का कोई कारण नहीं है, लेकिन राज्यपाल के रूप में उनका व्यवहार असंवैधानिक और राजनीतिक रूप से पक्षपाती है।”