महाराष्ट्र में शिवसेना में चल रहा अंतर्गत संग्राम दिल्ली की दहलीज पर है। विधानसभा, लोकसभा के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अब चुनाव आयोग में पहुंचे हैं। जहां मूल शिवसेना किसकी और धनुष बाण किसका निशान, इस पर निर्णय हो सकता है।
शिवसेना कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को चेताया था, ‘बाण ले जा सकते हो, परंतु, धनुष मेरे पास ही है’ बुधवार को परिस्थिति ने करवट ले ली और चौबीस घंटे के अंदर शिवसेना के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पोटली खोलते हुए बताया कि, दो तिहाई बहुमत के साथ विधानसभा में शिवसेना भाजपा का सत्ता स्थापन और लोकसभा में बदलाव किये गए हैं। इसी के अनुरूप चुनाव आयोग के पास भी पत्राचार किया गया है। यानि जिस धनुष की बात कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे कर रहे हैं, वह उन्हीं के पास रहेगा इस पर संशय खड़ा हो गया है।
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अब होगा धनुष बाण के लिए वॉर
शिवसेना किसकी यह बड़ा प्रश्न अब भी खड़ा है। किसी भी दल में एक सिरे से हुए विद्रोह के बाद संवैधानिक तरीके से पार्टी का अधिकार और उसके चुनाव चिन्हों का आबंटन संवैधानिक रूप से विघटित गुटों में किया जाता है। परंतु, शिवसेना में चल रहे वॉर में विधानसभा में दो तिहाई विधायक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ हैं, जिसके कारण महाविकास आघाड़ी सरकार का पतन हो गया। दूसरी ओर लोकसभा में भी यही चित्र को देखने को मिला, जहां दो तिहाई सांसदों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का समर्थन किया है। यही नहीं, लोकसभा में शिवसेना गुट नेता और प्रतोद के पद पर बदलाव करते हुए राहुल शेवाले और भावना गवली को जिम्मेदारी दी गई।
संसद में अपना वर्चस्व स्थापित करने के बाद एकनाथ शिंदे समर्थकों ने अब चुनाव आयोग को भी पत्र लिखा है। इस संबंध में जानकारी स्वत मुख्यमंत्री शिंदे ने दी है। जिससे शिवसेना का धनुष बाण किसके पास होगा इस पर शंका खड़ी हो गई है। उद्धव ठाकरे गुट अपने आपको शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब का उत्तराधिकारी और मूल शिवसेना बता रहे हैं, जबकि एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक लगातार अपने आपको शिवसेना में ही बताते रहे हैं और बालासाहेब के विचारों के अनुसार युति गठन का दावा कर रहे हैं।
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