‘भास्कर’ के ये अरमान आघाड़ी का ‘कार्यक्रम’ न कर दें!

विधान सभा अध्यक्ष पद कांग्रेस के कोटे में हैं। कांग्रेस के नेता नाना पटोले ने विधान सभा पद से अचानक त्यागपत्र दे दिया था। जिससे यह पद रिक्त हो गया है, जिस पर अब गठबंधन के दोनों दलों की भी नजर है।

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महाराष्ट्र विधान सभा का वर्षाकालीन सत्र तालिका अध्यक्ष भास्कर जाधव के क्रियाकलापों के नाम रहा। विधान सभा सदस्य के रूप में विपक्ष पर कार्रवाई की मांग करनेवाले भास्कर जाधव दस मिनट बाद ही तालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होकर उस पर निर्णय भी सुनाते देखे गए थे और जैसे ही विपक्ष के 12 विधायकों का निलंबन हुआ सरकार में चहुओर भास्कर जाधव की वाहवाही और हर चर्चा में अपनी खुशी को अक्सर नियंत्रित करते भास्कर जाधव दिख रहे थे। अब जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार वाहवाही और चर्चा से ओतप्रोत भास्कर जाधव के मन में एक अरमान पैदा हुआ है, जो महाविकास आघाड़ी सरकार का कार्यक्रम ही न कर दे ऐसी आशंका व्यक्त की जाने लगी है।

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व्यक्त किया मनोगत
अपने मनोगत को भास्कर जाधव ने अपने गृह क्षेत्र में रखा है। उन्होंने, कहा कि महाविकास आघाड़ी के तीनों दलों की सहमति से यदि शिवसेना को विधान सभा अध्यक्ष का पद मिलेगा तभी शिवसेना को स्वीकारना चाहिए। मुझे यदि विधान सभा अध्यक्ष बनाया जाता है तो मैं तैयार हूं। किसे क्या देना है, किसे कहां बैठाना है यह आम सहमति से तय होना चाहिए। शिवसेना को अपने कोटे का वन मंत्री पद देकर विधान सभा अध्यक्ष का पद नहीं स्वीकारना चाहिए। शिवसेना के पास वैसे ही एक भी महत्वपूर्ण विभाग नहीं है। इसलिए मंत्री पद छोड़कर विधान सभा अध्यक्ष पद लेना चाहिए ऐसा मुझे नहीं लगता है।

कांग्रेस को नहीं कुबूल
भास्कर जाधव के आरमानों पर कांग्रेस की ओर से भी प्रतिक्रिया आ गई। राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात ने कहा कि, भास्कर जाधव ने अधिवेशन में अच्छा कार्य किया है। इसलिए उन्हें ही यह पद दे दें ऐसा नहीं है। हमारी पार्टी में भी सक्षम भास्कर जाधव हैं। विभागों के बंटवारे में यह पद कांग्रेस को मिला है। उसमें बदलाव का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अध्यक्ष पद का चुनाव इस अधिवेशन में नहीं हो पाया, उसके लिए बड़ी प्रक्रिया है और किसी का अधिकार न छीना जाए।

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विपक्ष ने कहा, आघाड़ी में नहीं एकमत
भास्कर जाधव को यदि विधान सभा अध्यक्ष बनना है तो हमारी शुभकामना है। उन्हें निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए। परंतु, विधान सभा अध्यक्ष पद के लिए महाआघाड़ी में एकमत नहीं है, अन्यथा चुनाव कराया गया होता।

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