शिवसेना नेताओं ने सौंपा उद्धव ठाकरे के हाथ सब कमान

सबसे बड़े राजनीतिक असंतोष का सामना कर रही शिवसेना का शीर्ष नेतृत्व अब संगठन को फिर से खड़ा करने के लिए पूरा जोर लगा रहा है।

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महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट के बीच सत्तारूढ़ शिवसेना ने बागी विधायकों पर कार्रवाई के लिए पार्टी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अधिकृत किया है। शिवसेना की शनिवार को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। बैठक में पांच और प्रस्ताव भी लाए गए, जिनको सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया गया।

उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मौजूद सभी पदाधिकारियों को आश्वस्त किया कि पार्टी से गद्दारी करने वालों के साथ नरमी नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि शिवसेना ही स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे की राजनीतिक विरासत की असली हकदार है, इसलिए बालासाहेब का नाम लेकर किसी भी संगठन, व्यक्ति अथवा अन्य पार्टी को वोट मांगने का अधिकार नहीं है।

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शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि दादर स्थित शिवसेना भवन में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई। बैठक में शिवसेना नेताओं की ओर से पेश किए गए 6 प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इनमें मुख्यमंत्री के रूप में पिछले ढाई साल में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए उद्धव ठाकरे का अभिनंदन किया गया। इसी तरह शिवसेना के बागी विधायकों पर कार्रवाई करने का सर्वाधिकार राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उद्धव ठाकरे को सौंपा है। राउत ने कहा कि बागियों पर बहुत जल्द कठोर कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव के रूप में अब किसी भी संगठन, व्यक्ति अथवा अन्य पार्टी को शिवसेना तथा शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के नाम का उपयोग वोट मांगने के लिए न करने का भी प्रस्ताव पारित किया गया है। उन्होंने बताया कि बैठक में बालासाहेब के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया गया। राउत ने कहा कि बालासाहेब द्वारा तय किए गए हिंदुत्व, मराठी अस्मिता तथा अखंड महाराष्ट्र के मुद्दे पर शिवसेना काम करती रहेगी। शिवसेना इन मुद्दों से कभी भी समझौता नहीं करेगी।

शिवसेना प्रवक्ता राउत ने कहा कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ कहा है कि जिसे भी वोट मांगना है वह अपने बाप के नाम पर मांगे, न कि शिवसेना के संस्थापक के नाम पर। इसी तरह उद्धव ठाकरे ने बैठक में कहा कि शिवसेना में रहते हुए एकनाथ शिंदे नाथ थे और अब दास हो गए हैं।

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