तो यह शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना नहीं

महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन स्थापित करनेवाली शिवसेना को दिल्ली में विपक्षी पार्टियों के गठबंधन में शामिल कम्युनिष्टों से भी कोई गुरेज नहीं है।

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अंदर के उत्पाती बाहर कैसे अहिंसा के पुजारी बन जाते हैं, इसका ही एक रूप इन दिनों दिल्ली में दिख रहा है। इस ढकोसले से एक कदम आगे बढ़ते हुए शिवसेना की नई सहयोगी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के सांसद ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर टिप्पणी कर दी। लेकिन वर्तमान की शिवसेना चुप्पी साधे रही, जो उस काल की याद दिलाती है, जब वीर सावरकर पर टिप्पणी करनेवाले मणिशंकर अय्यर का विरोध शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ने स्वयं ‘जोडे मारो आंदोलन’  शुरू करके किया था। अर्थात, तो क्या ये शिवसेना प्रमुख की शिवसेना नहीं रही यह सबसे बड़ा प्रश्न है।

वीर सावरकर के विरुद्ध षड्यंत्र रचना कांग्रेस और कम्युनिस्टों का पुराना हथकंडा रहा है। कांग्रेस ने पहले अपने लाभ के लिए राजनीतिक रूप से वीर सावरकर के विरुद्ध षड्यंत्र रचा, उस षड्यंत्र में निर्दोष मुक्ति मिलने के बाद वीर सावरकर के विरुद्ध बदनामी का षड्यंत्र रचा जाता रहा है। राज्यसभा में हंगामा करनेवाले और महिला मार्शलों को अपमानित करनेवाले 12 सांसदों के निलंबन के बाद बाहर अहिंसा के पुजारी बन गए। इनमें से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के सांसद बिनॉय विश्वम ने वीर सावरकर की बदनामी वाली टिप्पणी की थी। बारह निलंबित सांसदों में शिवसेना के दो सांसद अनिल देसाई और प्रियंका चतुर्वेदी भी हैं, जो मूक दर्शक बने रहे। सांसदों की चुप्पी रहो तो दूसरी ओर शिवसेना पक्ष की ओर से भी कोई बयान सामने नहीं आया है।

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यह घटना 2004 की है, तत्कालीन कांग्रेस सरकार में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री थे मणिशंकर अय्यर। उन्होंने वीर सावरकर के विरुद्ध आक्षेपार्ह टिप्पणी की थी। इसके विरोध में शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे छत्रपति शिवाजी पार्क में उतरकर मणिशंकर अय्यर के विरुद्ध जोडे मारो आंदोलन 27 अगस्त 2004 को शुरू किया था। इस आंदोलन में स्वयं शिवसेना प्रमुख ने मणिशंकर अय्यर के पुतले पर अपनी चप्पल से प्रहार किया था।

भाजपा ने भी घेरा

भारतीय जनता पार्टी के विधायक अतुल भातखलकर ने इस प्रकरण में सीधे शिवसेना प्रमुख की 2004 की फोटो का साझा करते हुए लिखते हैं कि, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने वीर सावरकर का अपमान किया है। वीर सावरकर का अपमान करनेवाले मणिशंकर अय्यर के खिलाफ मा. बालासाहेब ठाकरे ने जोड़े मारो आंदोलन किया था परंतु, मुख्यमंत्री ऐसे हजारो अपमान सहकर सत्ता को चिपक कर बैठे हुए हैं।

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