शिवसेना के हाथ राज्य की कमान है, मनपा में उसकी वर्षों से सत्ता है। सत्ता को दो प्रमुख केंद्रों को संचालित करनेवाली शिवसेना ने एक बार फिर अपने ग्रासरूट को सक्रिय कर दिया है। इसका कारण है अगले वर्ष होनेवाला मुंबई मनपा चुनाव। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि भले ही राज्य में शिवसेना सत्ता में है परंतु उसके प्राण अब भी मुंबई मनपा में बसतेहैं।
मुंबई मनपा चुनाव में शिवसेना को भाजपा से कड़ी टक्कर मिल सकती है, इसके लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शहर के शाखा प्रमुखों को आदेश दिया है कि वे अब लोगों से मिलें, कोरोना से उपजी परिस्थिति में लोगों की सहायता करें।
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मनपा पर शिवसेना का सिक्का
मुंबई मनपा में 1985 से शिवसेना की सत्ता है। इस बीच 1992 में कांग्रेस सत्ता स्थापित करने में सफल रही। लेकिन 1996-97 में जोड़तोड़ करके शिवसेना फिर सत्ता में आ गई। इस काल में मिलिंद वैद्य को शिवसेना ने महापौर बनाया। इसके बाद 1997 में हुए चुनाव में मनपा पर फिर शिवसेना का कब्जा हो गया और अब तक वह चल रही है।
भाजपा भी है तैयार
मनपा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी किलेबंदी शुरू कर दी है। एक ओर मराठी चेहरे के रूप में विधायक अतुल भातखलकर के हाथ मनपा का प्रभार है तो दूसरी ओर आशीष शेलार की भी सहायता समय-समय पर ली जाती है। मुंबई भाजपा अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढ़ा गुजराती और मारवाड़ी समाज के प्रतिनिधि के रूप में प्रभाव छोड़ सकते हैं तो वहीं उत्तर भारतीय चेहरे के रूप कृपाशंकर सिंह का आयात लाभ दिला सकता है।
सामाजिक प्रतिनिधित्व देकर गणित साधनेवाली भाजपा को केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का मार्गदर्शन बड़ा लाभ दिला सकता है। शिवसेना से निपटना राणे से अच्छा कोई नहीं जानता तो वहीं कोकण वासियों को लुभाने में राणे परिवार का तोड़ भी कोई नहीं है।
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