Swatantryaveer Savarkar: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के दादा इटालियन हैं। इसलिए उनकी प्रचार प्रणाली भी इतालवी फासीवादी जैसी है। इसमें सत्य को असत्य और असत्य को सत्य बना दिया जाता है। इसीलिए राहुल गांधी ने बिना किसी सबूत के स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) पर आरोप लगाया। उन्होंने संसद के मंच का दुरुपयोग किया।’ लेकिन स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पोते और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक (Swatantryaveer Savarkar Rashtriya Smarak) के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सावरकर (Ranjit Savarkar) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी को सीधी चुनौती दी कि वह संसद के बाहर आकर यही बयान दें। हम उनके खिलाफ मामला दर्ज करेंगे।
लोकसभा में संविधान पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल गांधी ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर को लेकर गलत बयानबाजी की। इस बात का खुलासा करने के लिए रणजीत सावरकर ने रविवार 15 दिसंबर को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के मैडम कामा सभागार में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। इस अवसर पर सावरकर स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे उपस्थित रहीं।
यह भी पढ़ें- AAP Candidates List: AAP ने जारी की इतने उम्मीदवारों की अंतिम सूची, जानें किसे कहां से मिला मौका
वीर सावरकर ने मनुस्मृति के बारे में क्या कहा?
रणजीत सावरकर ने आगे कहा कि मुझे नहीं पता कि राहुल गांधी ने किस नाले से लाकर लोकसभा में पेपर पढा। लेकिन सच तो यह है की, सावरकर ने कहा, मनुस्मृति एक ऐतिहासिक पुस्तक है। मनुस्मृति को एक धार्मिक पुस्तक के रूप में देखा जाना चाहिए। इसलिए वीर सावरकर ने स्पष्ट लिखा है कि मनुस्मृति, कुरान, बाइबिल जैसे किसी भी धर्मग्रंथ को यह अधिकार नहीं है कि वह हमें बताएं कि आज हमें क्या करना है। इसलिए, राहुल गांधी का यह बयान की वीर सावरकर ने कहा कि भारतीय संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है और वह मनुस्मृति को कानून मानते हैं। रणजीत सावरकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि राहुल गांधी द्वारा दिए यह बयान पूरी तरह से गलत हैं।
यह भी पढ़ें- EVM: ईवीएम मुद्दे पर इंडी गठबंधन में फुट, उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस पर किया तीखा तंज
संविधान बनाते समय वीर सावरकर के इस पुस्तक को बनाया आधार
इस बीच, स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने भारतीय संविधान कैसा होना चाहिए, इसके लिए एक समिति नियुक्त की थी और 1945 में कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ द हिंदुस्तान फ्री स्टेट नामक पुस्तक लिखी। इसमें सावरकर कहते हैं कि धर्म का पालन व्यक्ति के घर में होना चाहिए। साथ ही सावरकर ने उस किताब में कहा है कि घर के चौखट के बाहर सभी धर्मों को सामान मानने का अधिकार है। रणजीत सावरकर ने कहा की भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान डाॅ. बाबा साहब अम्बेडकर ने इस पुस्तक का आधार लिया था।
यह भी पढ़ें- Adani: कोई और सहारा नहीं, अडानी पर अटकी कांग्रेस
संविधान विरोधी थे बैरिस्टर गांधी के विचार
साथ ही कांग्रेस द्वारा यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि वीर सावरकर संविधान विरोधी थे। लेकिन बैरिस्टर गांधी ने कहा कि वर्ण व्यवस्था आपको शिक्षा से नहीं रोक सकती। लेकिन आप उस शिक्षा का उपयोग नहीं कर सकते। यानी जाति आधारित वर्ण व्यवस्था के बंधन में फंसने की सलाह गांधी ने दी थी। रंजीत सावरकर ने यह भी बताया कि बैरिस्टर गांधी डॉ. बाबा साहब अंबेडकर ने उन्हें अमानवीय कहा था। इसलिए मोहनदास करमचंद गांधी संविधान विरोधी थे।
यह भी पढ़ें- CM Yogi: ताजमहल बनाने वालों के हाथ काट दिए गए, राम मंदिर बनाने वालों का हुआ सम्मान: सीएम योगी
अंग्रेजों के एजेंट थे नेहरू
नेहरू ने अक्सर संविधान का उल्लंघन किया है। 10 मई 1947 को वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (लुई माउंटबेटन) नेहरू को उनके पत्नी सहित शिमला ले गये। वहां माउंटबेटन ने नेहरू को भारत के विभाजन योजना के बारे में बताया। जिसपर नेहरू को गुस्सा आ गया की उन्होंने माउंटबेटन के विभाजन प्रस्ताव को फाड़कर फेंक दिया। लेकिन एक दिन में ऐसा क्या हुआ कि नेहरू ने संशोधित प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। यह प्रस्तावित किया गया कि माउंट बैटन योजना के अनुसार जून 1948 में भारत का विभाजन किया जाना था। लेकिन अंदेशे के अनुसार विभाजन के दौरान हुए रक्तपात की ज़िम्मेदारी अंग्रेजों को नहीं बल्कि भारतीयों को लेने के लिए कहा साथ ही मुस्लिम लीग को सहयोग देने की सहमति व्यक्त की। इसलिए रणजीत सावरकर ने आलोचना करते हुए कहा कि नेहरू को अंग्रेजों का एजेंट कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी।
यह वीडियो भी देखें-
Join Our WhatsApp Community