समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पर प्रकरण दर्ज किया गया है, जिन पर रामचरितमानस की प्रतियां जलाने के लिए उकसाने का आरोप है। यह पहली बार नहीं है, जब समाजवादी पार्टी के नेताओं ने हिंदू आस्था पर प्रहार किया है। इससे पहले भी समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थीं। एक बार फिर लखनऊ में इस घटना से सपा का राम द्रोह चरित्र सामने आने के बाद लोग विद्रोह कर रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य पर मामला दर्ज
ज्ञात हो कि मुलायम सिंह यादव को गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा की गई। इसके बाद हिंदूओं में एक आवाज उठी कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश देने वाले को पद्म पुरस्कार देकर सरकार क्या संदेश देना चाहती है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से चुप्पी साध ली गई है। जबकि, दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी पार्टी के राम द्रोह को फिर मुखर कर रहे हैं। करोड़ों आस्थाओं के प्रतीक श्रीरामचंद्र के जीवन को लोगों में पहुंचाते श्रीरामचरितमानस की प्रतियां उन्होंने लखनऊ में जलाने के लिए प्रेरित किया। उन पर यह आरोप लगा है।
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पांच लोग गिरफ्तार
हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस की 29 जनवरी को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रतियां जलाई गईं। इस प्रकरण में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य सहित 10 लोगों के खिलाफ नामजद प्रकरण दर्ज किया गया है। इस प्रकरण में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा उतरा है।
क्या बोले थे स्वामी प्रसाद मौर्य
ओबीसी महासभा ने रविवार को प्रदर्शन कर रामचरितमानस की प्रतियों को जलाया। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानव को बकवास बताया था। इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक कह दिया कि इस ग्रंथ में जो भी आपत्तिजनक अंश हैं, सरकार को उसे बाहर करना चाहिए, वरना ऐसी पुस्तक पर बैन लगा देना चाहिए। सपा नेता ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस की कुछ चौपाइयां ऐसी हैं, जो शूद्र को अधम जाति का बताती हैं।