राष्ट्रपति चुनावों के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव और गठबंधन के साथी ओमप्रकाश राजभर को अपनी साइकिल से बीच में ही उतार दिया है। राष्ट्रपति चुनावों में एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को मत देने से समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया नाराज थे।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुप्पी तोड़ते हुए अपने सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से गठबंधन तोड़ दिया है। सपा ने साफ किया कि भाजपा में आपको ज्यादा सम्मान मिलेगा, वहां जा सकते हैं। इसके साथ चाचा व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल यादव को भी नसीहत दी है कि आपको जहां सम्मान मिले, वहां जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश में इस वर्ष चुनाव हुए हैं। सपा गठबंधन विपक्ष में है और विधानसभा का कार्यकाल अभी एक वर्ष भी पूर्ण नहीं हुआ है, ऐसे में गठबंधन में रार बीच रास्ते में विद्रोह जैसा है।
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पत्र किया सार्वजनिक
अखिलेश यादव ने बीते कई दिनों से सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के मीडिया बयानबाजी पर अपनी मुहर लगा दी। उन्होंने गठबंधन तोड़ने वाला एक पत्र पार्टी के आफिशियल ट्वीटर पर पोस्ट डाला है। इस पोस्ट के बाद से उत्तर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है। पत्र के जरिए कहा गया है कि भाजपा से सुभासपा अध्यक्ष का गठजोड़ है। वह लगातार भाजपा को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। ऐसे में आपको लगता है कि आपको भाजपा में ज्यादा सम्मान मिलेगा तो आप वहां जाने के लिए स्वतंत्र है।
चाचा को भी दी घुड़की
सुभासपा से गठबंधन तोड़ते हुए अखिलेश यादव ने प्रसपा अध्यक्ष चाचा शिवपाल सिंह यादव को भी नसीहत दी है। उन्होंने पत्र में चाचा के लिए लिखा कि आपको जहां सम्मान मिले, वहां जा सकते हैं।
तलाक स्वीकार है
गठबंधन टूटने पर सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर ने पत्रकारों से कहा कि हमें सपा अध्यक्ष का तलाक स्वीकार है। उन्होंने इसके पीछे सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, संदीप भदौरिया, संजय लाठर सहित कई बड़े नेताओं को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव इन नवरत्नों के इशारे पर काम करते हैं।