शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) एक बार फिर टूट की तरफ बढ़ रहा है। शिरोमणि अकाली दल के बागी नेता (Rebel Leaders) 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब (Sri Akal Takht Sahib) पर नतमस्तक होकर पुरानी गलतियों के लिए माफी मांगेंगे। उसी दिन नए अकाली दल की नींव रख दी जाएगी। बागी धड़े (Rebel Faction) ने स्पष्ट कर दिया है कि सुखबीर बादल (Sukhbir Badal) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। जबकि सुखबीर बादल भी पद नहीं छोड़ने पर अड़े हुए हैं।
पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से अकाली दल ने सिर्फ एक सीट जीती है। लोकसभा चुनाव में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के बाद अकाली दल में बगावती सुर उठने लगे हैं। लड़ाई भाजपा के साथ जाने या ना जाने को लेकर है। बागी धड़े के ज्यादातर नेता चाहते हैं कि शिरोमणि अकाली दल को भाजपा से समझौता करना चाहिए। भाजपा के साथ तालमेल की प्रमुखता से आवाज उठाने वाले नेताओं में प्रेम सिंह चंदू माजरा, सिकंदर सिंह मलूका भी शामिल है। जबकि सुखबीर बादल भाजपा के साथ किसी भी कीमत पर जाने को तैयार नहीं है।
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जिसका एसजीपीसी पर कब्जा, पंथ उसी के साथ
शिरोमणि अकाली दल की राजनीति धर्म पर आधारित रही है। शिरोमणि अकाली दल की राजनीति सीधे तौर पर एसजीपीसी से ही संचालित होती है। शिरोमणि अकाली दल कई बार टूटा है लेकिन पंथ उसी दल के साथ होता है जिसका एसजीपीसी पर कब्जा होता है। इस समय एसजीपीसी पर सुखबीर बादल का कंट्रोल है जिस प्रकार से पिछले समय में शिरोमणि अकाली दल टूटने से स्थितियां पैदा हुई थी। उसे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने संभाल लिया था लेकिन मौजूदा समय में सुखबीर बादल की कार्यशैली से अकाली दल के वरिष्ठ नेता नाराज चल रहे हैं।
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