चीन से कर्ज लेने के बाद आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने अपने तीन विदेशी राजनयिक मिशनों को बंद करने की घोषणा की है। श्रीलंका ने यह कदम विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए उठाया है।
देश के केंद्रीय बैंक ने आवश्यक आयात के वित्तपोषण के लिए आवश्यक डॉलर के नियंत्रण पर जोर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि नाइजीरिया में श्रीलंकाई उच्चायोग (दूतावास) और जर्मनी में वाणिज्य दूतावास जनवरी से बंद हो जाएंगे।
भारत से मदद की गुहार
श्रीलंका चीन के बढ़ते कर्ज से परेशान है। इस स्थिति में पिछले साल की तुलना में इस साल के पहले सात महीनों में श्रीलंका के तेल का बिल 41.5 फीसदी उछलकर 2 अरब डॉलर हो गया है। श्रीलंका ने अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अब भारत से मदद मांगी है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह पुनर्गठन देश के बहुत जरूरी विदेशी भंडार के संरक्षण और विदेशों में श्रीलंका के मिशनों के रखरखाव से संबंधित खर्च को कम करने के लिए किया गया है।
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कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था खराब
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर करता है, जिसे कोविड महामारी ने बुरी तरह प्रभावित किया है। सरकार ने पिछले साल मार्च में विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए आयात पर व्यापक प्रतिबंध लगाया था, जिससे देश में ईंधन और चीनी जैसी जरूरी चीजों की कमी हो गई थी। तीन मिशनों को ऐसे समय पर बंद किया जा रहा है, जब श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने स्थानीय लोगों के लिए विदेशी मुद्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है।
निजी व्यापारियों को देने के लिए डॉलर की कमी
सभी वाणिज्यिक बैंकों को अपनी डॉलर की कमाई का एक चौथाई 10 फीसदी से ऊपर सरकार को सौंपने का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि बैंकों के पास अब निजी व्यापारियों को देने के लिए और भी कम डॉलर्स होंगे। नवंबर के अंत में श्रीलंका के पास सिर्फ 1.58 बिलियन डॉलर का विदेशी भंडार था, जो 2019 में राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के पदभार संभालने के समय 7.5 बिलियन डॉलर था।