महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग को लेकर बेमियादी हड़ताल पर हैं। हड़ताल के पहले दिन प्रदेश के सभी विभागों में कर्मचारियों ने काम बंद कर सरकार पर निशाना साधा। इस बीच राष्ट्रीय पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना के अध्ययन के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कर्मचारियों से हड़ताल वापस लेने की अपील की। मुख्यमंत्री ने 14 मार्च को विधानसभा में इस संबंध में बयान भी दिया।
कर्मचारियों की हड़ताल की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है। इसमें हड़ताल का समर्थन कर रहे कर्मचारियों द्वारा विधायक-सांसदों के वेतन का मामला सामने लाया जा रहा है। इस मामले में अब विधायक बच्चू कडू ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है।
इसलिए रोकी जाए विधायक-सासंद की पेंशन
कड़ू ने कहा कि 70 से 80 प्रतिशत विधायक-सांसदों को पेंशन की जरूरत नहीं है। इसे तत्काल बंद कर देना चाहिए। अगर वह आयकर भर रहे हैं और उनकी आय 10-15 करोड़ रुपये है, तो उन्हें पेंशन देने की जरूरत नहीं है। प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की चल रही हड़ताल की चर्चा पर विधायक बच्चू कडू ने स्पष्ट राय व्यक्त की है कि हमें राष्ट्रहित की रक्षा करनी चाहिए। कर्मचारियों को देखा जाए तो किसी का वेतन 10 हजार तो किसी का ढाई लाख रुपए है, इसका आकलन किया जाना चाहिए। इस देश में ऐसा हुआ है, जो कम काम करता है, उसे ज्यादा वेतन मिलता है और जो ज्यादा काम करता है उसे कम वेतन मिलता है। इस वेतन का अनुपात तय होना चाहिए। बच्चू कडू ने यह भी कहा कि सरकार को किसानों और खेतिहर मजदूरों की पेंशन पर भी विचार करना चाहिए।
पेंशन में असामनता
बच्चू कड़ू ने कहा कि जो दिव्यांग हैं, उनके पास कोई व्यवसाय नहीं है, आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है। आप उन्हें केवल 1500 रुपये और विधायक 2.5 को लाख रुपये प्रति माह का भुगतान करते हैं। यह असमानता उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पेंशन के लिए एक सीमा तय की जाए। फिलहाल कर्मचारी कह रहे हैं कि सभी विधायक-सांसदों को पेंशन है तो हमें क्यों नहीं। इसलिए मैं कहता हूं कि सभी विधायक-सांसदों की पेंशन बंद कर दो तो कर्मचारी पेंशन का मुद्दा नहीं उठाएंगे। विधायक कडू ने कहा कि समाज में नौकरी और वेतन की असमानता को दूर किया जाना चाहिए।