UP budget session: भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेली भाषाओं से सपा को ऐतराज; CM योगी ने किया कड़ा प्रहार

सीएम योगी ने कहा कि समाजवादियों का यह दोहरा रवैया है, जहां वे अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भेजते हैं और दूसरों के बच्चों को गांव के स्कूलों में पढ़ने की सलाह देते हैं।

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UP budget session: उत्तर प्रदेश विधानसभा (Uttar Pradesh Legislative Assembly) का बजट सत्र (budget session) 18 फरवरी (आज) से शुरू हुआ, और पहले ही दिन विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान, हिंदी, भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेली भाषाओं को सदन की कार्यवाही में शामिल करने पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा समझाने के प्रयास के बीच मुख्यमंत्री (Chief Minister) योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने विपक्ष पर कड़ा प्रहार किया।

सीएम योगी ने कहा कि समाजवादियों का यह दोहरा रवैया है, जहां वे अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भेजते हैं और दूसरों के बच्चों को गांव के स्कूलों में पढ़ने की सलाह देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग खुद तो अंग्रेजी पढ़ाते हैं, लेकिन दूसरों को उर्दू पढ़ाने और कठमुल्ला, मौलवी बनाने की कोशिश करते हैं, जो कि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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समाजवादियों का दोहरा चरित्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह सदन केवल शुद्ध साहित्यिक और व्याकरण के विद्वानों के लिए नहीं है। अगर कोई सदस्य हिंदी में प्रवाह से बात नहीं कर सकता, तो उसे भोजपुरी, अवधी, ब्रज या बुंदेलखंडी जैसी भाषाओं में अपनी बात रखने का पूरा अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह ठीक है कि कोई व्यक्ति भोजपुरी या अवधी की बजाय सिर्फ उर्दू की वकालत करे? योगी ने समाजवादियों पर आरोप लगाया कि उनका चरित्र अब इतना दोहरा हो गया है कि वे अपने बच्चों को अंग्रेजी पब्लिक स्कूल में भेजते हैं, जबकि दूसरों के बच्चों को संसाधनहीन गांवों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही, वे दूसरों के बच्चों को मौलवी बनाने की कोशिश करते हैं, जो कि उनके अनुसार गलत है।

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नेता प्रतिपक्ष का उर्दू भाषा पर बयान
वहीं, नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सदन में अंग्रेजी को हटाकर उर्दू को शामिल करने की मांग की। उर्दू को विकल्प के रूप में न देखने पर उन्होंने विरोध जताया और कहा कि अंग्रेजी को हटाकर उर्दू को जगह दी जाए। राज्यपाल के अभिभाषण पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी और कहा कि समाजवादी पार्टी ने उसमें दिए गए झूठे आंकड़ों का विरोध किया है। विशेष रूप से महाकुंभ की भगदड़ में हुई मौतों के बारे में सही आंकड़े जारी करने की मांग की गई, लेकिन सरकार की ओर से गलत आंकड़े पेश किए जा रहे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्यपाल ने अपना आधा भाषण छोड़ दिया, और उनका मानना था कि वे महाकुंभ में हुई घटनाओं से दुखी थीं, इसलिए उन्होंने पूरा भाषण नहीं पढ़ा।

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