वक्त बदल गया है। जमाना सोशल मीडिया का है। इधर बटन दबाया और उधर संदेश प्राप्त हो गया। अब पलक झपकते ही संदेश का आदान-प्रदान हो जाता है। दरअस्ल लोगों की व्यस्तता भी बढ़ गई है। लंबे-लंबे पत्र लिखने का टाइम नहीं है। वैसे भी फोन पर और वाट्सऐप ग्रुप के साथ ही ई-मेल आदि से हर दिन तो अपने लोगों से बात होते ही रहती है। इस स्थिति में लंबे-लंबे पत्र लिखने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन सच कहें तो जो दिखता है, वो हमेशा नहीं रहता है।
महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ महीनों से लंबे-लंबे पत्र लिखे जा रहे हैं। जो सामने नहीं कहे जा सकते, या कहने की हिम्मत नहीं है, उसे पत्र के माध्यम से दूसरों तक पहुंचाने का यह तरीका बुरा नहीं है, लेकिन परेशानी यही है कि इस लेटर को जहां पहुंचना चाहिए था, वहां न पहुंचकर ऐसे लोगों तक पहुंच जा रहे हैं, जिनके हाथ में पहुंचते ही ये लेटर बम साबित हो रहे हैं।
लेटर बम की गूंज
प्रदेश में अब तक कई लेटर बम से कई बार धमाके हो चुके हैं, जिनकी गूंज अब तक सुनाई पड़ रही है। नया लेटर बम शिवसेना के चर्चित विधायक प्रताप सरनाईक ने फोड़ा है। उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी के प्रताड़ना से बचने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिवसेना कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे से अनुरोध किया है कि हमें फिर से भाजपा से युति कर लेनी चाहिए। लेटर बम के इस धमाके की गूंज महाराष्ट्र से दिल्ली तक की राजनीति में अगले काफी दिनों तक सुनाई देती रहेगी।
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परमबीर सिंह ने फोड़ा था लेटर बम
मुकेश अंबानी के घर के सामने मिली कार और उसके बाद मनसुख हिरेन की हत्या ने मुंबई पुलिस के सहायक निरीक्षक सचिन वाझे पर संदेह पैदा कर दिया था। उसके बाद, आरोप लगे कि सरकार पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है। इसलिए तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अचानक मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की बलि ले ली। गृह मंत्री ने उस समय कहा था कि परमबीर ने एक अक्षम्य गलती की है। लेकिन उनका यह बयान ही उनकी सबसे बड़ी गलती थी, जिसके कारण उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में परमबीर सिंह ने सीधे तौर पर देशमुख पर 100 करोड़ रुपये वसूलने के टारगेट देने का आरोप लगा दिया। उसके बाद ठाकरे सरकार मुश्किल में पड़ गई। सरकार पर आरोप लगाए गए कि यह भ्रष्टाचारी मंत्रियों को बचा रही है। इस मामले में निशाने पर आई उद्धव सरकार के सामने जब कोई रास्ता नहीं बचा तो देशमुख को अंततः गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।
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सचिन वाझे का लेटर बम
परमबीर सिंह के लेटर बम के बाद सचिन वाझे ने भी एनआईए सेल में धमाका कर दिया। गिरफ्तार वाझे ने एनआईए को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख, शिवसेना नेता और राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब पर हफ्ता वसूली करवाने का गंभीर आरोप लगाया। उस पत्र के बाद ठाकरे सरकार में एक और मंत्री विवादों में फंस गया है। हालांकि अनिल परब ने कहा है कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। फिलहाल मामले की जांच जारी है।
सरनाईक का ‘पत्र’ प्रताप
इन तमाम पत्रों के ऊपर ईडी के शिकंजे में फंसे शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने हाल ही में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिवसेना नेताओं के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने पत्र में सनसनीखेज आरोप लगाते हुए लिखा है कि महाविकास आघाड़ी सरकार में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शिवसेना को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि दोनों दल शिवसेना के कार्यकर्ताओं को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं। इस स्थिति में शिवसेना के लिए भाजपा से हाथ मिलाना बेहतर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इससे प्रताप सरनाईक, अनिल परब, रवींद्र वायकर के साथ ही उनके सहयोगियों और परिवारों का अनावश्यक उत्पीड़न बंद हो जाएगा। पत्र में लिखा गया है कि प्रदेश में इस तरह की तस्वीर बनाई जा रही है कि महाविकास आघाड़ी में शामिल तीनों पार्टियों के नेता-विधायक खुश हैं। लेकिन सच्चाई इससे अलग है। राकांपा और कांग्रेस शिवसेना को नुकसान पहुंचा रही हैं और इससे शिवसेना के कई नेता नाराज हैं। सरनाईक के इस लेटर बम के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं, कि मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अलग हुई शिवसेना-भाजपा क्या एक बार फिर साथ आएगी?