सर्वोच्च न्यायालय में राजकीय क्षेत्र में ओबीसी आरक्षण का प्रकरण लंबित है। न्यायालय ने इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए अब दो बहुत महत्वपूर्ण आदेश दिये हैं। जिसका पालन करते हुए दो सप्ताह में स्थानीय निकायों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करनी होगी।
सर्वोच्च न्यायालय के पहले आदेश के अनुसार राज्य में लंबित बड़े स्थानीय निकायों के चुनाव ओबीसी समाज के राजकीय आरक्षण को लेकर दी गई सिफारिशों के अनुसार करवाया जाए। जबकि, दूसरा आदेश तत्काल निर्वाचन घोषणा का है। जिसमें चुनाव से संबंधित पक्षों के दो सप्ताह का समय दिया गया है। जिसके भीतर चुनावों की घोषणा करनी है।
सिफारिशों के अनुसार चुनाव
महाराष्ट्र में ९२ नगरपालिका और ४ नगर परिषद में चुनावों को स्थगित रखा गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि, बांठिया आयोग की सिफारिश के अनुसार ओबीसी समाज को २७ प्रतिशत राजकीय आरक्षण दे सकते हैं। इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि, इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए, जिसे आक्षेप हो वह सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उसे प्रस्तुत करे।
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क्या है बांठिया आयोग की सिफारिश?
बांठिया आयोग ने ओबीसी आरक्षण को लेकर सिफारिशें दी हैं। जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि, ओबीसी लोकसंख्या के अनुसार राजकीय आरक्षण दिया जाए। इसमें ओबीसी आरक्षण की मर्यादा २७ प्रतिशत तक निर्दिष्ट की गई है। परंतु, यह भी ध्यान रखना होगा कि, सभी वर्गों को दिये गया कुल आरक्षण ५० प्रतिशत आरक्षण से ऊपर नहीं जाना चाहिए।